Arun Bhole Death: महान समाजवादी चिंतक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और दार्शनिक लेखक अरुण भोले का गुरुवार को अहमदाबाद में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के वे निकट सहयोगी रहे और स्वतंत्रता आंदोलन के सक्रिय सेनानी भी थे। मूल रूप से दरभंगा के भवानीपुर निवासी भोले अपने पीछे एक पुत्र, एक पुत्री और चार पौत्र-पौत्रियाँ छोड़ गए हैं।
बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष प्रो. रणबीर नंदन ने उनके निधन को भारतीय वैचारिक विरासत के लिए एक बड़ा नुकसान बताया है।
प्रो नंदन ने कहा कि अरुण भोले जी की धर्म, दर्शन, विश्व-इतिहास और राजनीति पर गहरी पकड़ थी और उन्हें देशभर में एक सम्मानित और गंभीर विचारक के रूप में स्थापित किया था।
प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि अरुण भोले का जाना वैचारिक संपदा की ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अरुण भोले सिर्फ लेखक नहीं थे, वे भारतीय समाजवाद, धर्म और मानवीय दर्शन की जीवंत मिसाल थे। उनके विचारों ने कई पीढ़ियों को दिशा दी। बिहार की सांस्कृतिक और बौद्धिक दुनिया आज अपने एक मार्गदर्शक को खो चुकी है। मैं अपनी ओर से और धार्मिक न्यास परिषद की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
प्रो. नंदन ने यह भी कहा कि अरुण भोले द्वारा लिखे गए ग्रंथ आने वाले समय में भी समाज को विचारशील बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे।




















