संसद में SIR पर हुई चर्चा के दौरान AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने चुनाव आयोग पर गंभीर संवैधानिक लापरवाही का आरोप लगाते हुए नया राजनीतिक भूचाल खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि आयोग ने न केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को नज़रअंदाज़ किया है, बल्कि संसद द्वारा बनाए गए नियमों की भी खुलेआम अवहेलना की है। ओवैसी का दावा है कि आयोग ने सार्वजनिक आदेश जारी किए बिना 35 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटा दिए, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गहरी चोट है। ओवैसी ने स्पष्ट कहा कि उनकी पार्टी SIR का पूरी तरह विरोध करती है क्योंकि यह लोकतांत्रिक अधिकारों को कमजोर करने वाला कदम है।
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ओवैसी ने इस बहस को CAA और ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से भी जोड़ते हुए सवाल उठाया कि CAA के नियमों को लागू करने में सरकार ने पाँच साल क्यों लगाए और यह प्रक्रिया उसी समय क्यों तेज़ हुई जब चुनाव आयोग ने नई ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की है। AIMIM प्रमुख का आरोप है कि ड्राफ्ट लिस्ट में तीन लाख से अधिक मतदाताओं को बाहर किया गया है, और SIR इसके समानांतर एक ऐसी प्रणाली तैयार कर रहा है जो NRC की तरह नागरिकता सत्यापन को अप्रत्यक्ष रूप से लागू करेगी। उन्होंने कहा कि यह “एनआरसी का बैकडोर वर्ज़न” है, जिसकी वजह से खासकर कमजोर वर्गों और अल्पसंख्यकों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
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चुनावी सुधारों पर चर्चा के दौरान ओवैसी ने जर्मनी जैसे देशों की तर्ज पर दो-वोटिंग सिस्टम लागू करने की भी वकालत की, जिसमें एक वोट उम्मीदवार के लिए और दूसरा पार्टी के लिए होता है। उनके अनुसार यह व्यवस्था प्रतिनिधित्व को समावेशी बनाएगी और उन समुदायों को भी राजनीतिक अवसर देगी जिन्हें अक्सर केवल “वोटर” की भूमिका तक सीमित कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि हालात ऐसे बना दिए गए हैं कि मुसलमान वोट तो दे सकते हैं, लेकिन विधायक बनने की संभावनाओं को लगातार सीमित किया जा रहा है।






















