बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर ने हलचल तेज कर दी। एक ओर जहां अशोक चौधरी कह रहे हैं कि वो अब वकील नहीं, जनता से बात करेंगे, वहीं दूसरी ओर प्रशांत किशोर का कहना है कि वो कोई जांच एजेंसी नहीं हैं जो चुनाव का काम छोड़कर रोजाना दस्तावेज लेकर बैठें. जनता के सामने बातें रख दी गयी हैं. जिनपर आरोप लगा है वो या तो गलती मान चुके हैं या फिर खामोश हो गये हैं. ऐसे में अब जो करना है वो जनता को तय करना है. कुल मिलाकर दोनों पक्ष अब इन मसले को चर्चा से बाहर ले जाने की कोशिश में लगा है.
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मंत्री अशोक चौधरी ने अब जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर से कोर्ट-कचहरी की लड़ाई के बजाय, सीधे चुनाव में लड़ने का एलान कर लिया है. प्रशांत किशोर के लगातार आरोपों का सामना कर रहे अशोक चौधरी ने दुर्गाष्टमी के दिन एक ट्वीट करके अपने इरादे स्पष्ट कर दिए. उन्होंने कहा कि उनके हिसाब से न्यायालय में कानूनी लड़ाई लड़ने से बेहतर है कि आगामी विधानसभा चुनाव में इस लड़ाई को जनता की अदालत में लड़ा जाए.
जन सुराज पार्टी के सर्वोच्च नेता प्रशांत किशोर ने भी इस मामले में अब नरम रुख दिखाया है. शुरुआत में प्रशांत किशोर ने ताबड़तोड़ पांच बड़े नेताओं सम्राट चौधरी, दिलीप जायसवाल, अशोक चौधरी, मंगल पांडेय और संजय जायसवाल पर अलग-अलग तरह के आरोप लगाए थे.






















