Bihar News: बिहार में ग्रामीण सड़कों के निर्माण को लेकर उठे ग्लोबल टेंडर विवाद पर ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने स्पष्ट और दोटूक जवाब दिया है। उन्होंने कहा, “ग्रामीण कार्य विभाग ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया को कभी अपनाता ही नहीं है। विभाग सिर्फ नेशनल बिडिंग के तहत कार्य कराता है और ज्यादातर काम बिहार के ही संवेदकों को आवंटित किए जाते हैं।
यह बयान तब आया है जब उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा समेत सत्तापक्ष के कुछ विधायकों ने विभाग द्वारा ग्लोबल टेंडर आमंत्रित करने को लेकर आपत्ति जताई थी। इस पर सफाई देते हुए मंत्री चौधरी ने कहा कि यह एक भ्रामक आरोप है, और सच्चाई यह है कि विभाग की निविदा प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और स्थानीय सहभागिता पर आधारित है।
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उन्होंने यह भी बताया कि विभाग द्वारा बनाए गए पथों का सात वर्षों तक अनुरक्षण अनिवार्य है और पांचवें वर्ष कालीकरण किया जाता है। साथ ही, हर संवेदक को ‘रैपिड रिस्पॉन्स व्हीकल’ रखना होता है ताकि समय पर सड़क मरम्मत सुनिश्चित की जा सके। चौधरी ने जानकारी दी कि 2025-26 में अब तक 4079 पथों (6484 किमी) की स्वीकृति और 1038 पैकेजों का आवंटन किया जा चुका है। पैकेज आधारित प्रखंडवार नीति के कारण कार्य आवंटन तेज हुआ है और 816.68 करोड़ रुपये की बचत भी हुई है।
सीएमबीडी (कंबाइंड मॉडल बिडिंग डॉक्यूमेंट) के तहत निविदा प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल कर दी गई है और निविदाकारों को सिर्फ शपथ पत्र अपलोड करना होता है, जिससे हार्डकॉपी की बाध्यता खत्म हो गई है। अंत में मंत्री ने कहा, “राज्य में चल रहे सभी प्रमुख कार्य बिहार के ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे हैं। केवल दो ठेकेदार झारखंड और दो उत्तर प्रदेश के हैं, बाकी सभी स्थानीय हैं। इसलिए ग्लोबल टेंडर का सवाल ही नहीं उठता।