रांची: सेना के जमीन को बेचने से जुड़े मामले को लेकर पूर्व उपयुक्त छवि रंजन कि जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दी है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एससी शर्मा की पीठ ने कहा कि वह पिछले वर्ष अक्टूबर में झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा खारिज की गई जमानत के आदेश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है।
बता दें पूर्व उपायुक्त छवि रंजन पर रांची के बरियातू इलाके में 4.55 एकड़ सेना की जमीन को बेचने में कथित रूप से संलिप्तता का आरोप है . जिसे लेकर चार मई को शहर में कई इलाकों में इडी की छापेमारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने आईएएस रंजन को गिरफ्तार किया था। इसी मामले को लेकर रंजन ने उच्चतम न्यायालय में जमानत याचिका दायर कि थी जिसे मंगलवार को ख़ारिज कर दिया गया.
161.64 करोड़ रुपये की भूमि को किया ‘कुर्क’
वहीँ इडी ने पिछले महीने कि अपनी जांच के बाद कहा था कि रांची में चेशायर होम रोड, पुगरू और सिरम स्थित तीन भूखंडों को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत कुर्क किया गया है, जिनकी बाजार में कीमत 161.64 करोड़ रुपये है। इस भूमि को ‘भूमि राजस्व विभाग के अधिकारियों’ की मिलीभगत से भूमि माफिया को धोखाधड़ी से बेच दिया गया था .
बताते चले कि पूर्व उपयुक्त ने निर्धारित समय के भीतर आरोपपत्र दायर नहीं करने के आधार पर जमानत का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। परन्तु उच्च न्यायालय ने कहा कि जांच एजेंसी की ओर से जांच को पूरा करने में कोई विसंगति नहीं की गई है और एक आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है और इसलिए इस आधार पर जमानत का कोई मतलब नहीं है। इसके बाद छवि रंजन ने सुप्रीमकोर्ट का रुख किया था. वहा भी उनकी जमानत क अर्जी ख़ारिज कर दी गयी.
झारखण्ड में चल रहा है लैंड स्कैम का खेल
अपनी जाँच के दौरान इडी ने कहा कि ‘झारखंड में माफिया की ओर से भूमि के स्वामित्व को अवैध तरीके से हासिल करने का एक बड़ा गिरोह चल रहा है’। इस मामले में इडी अबतक 14 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। अभी और नये चेहरे सामने आ सकते है. बताते चले कि पूर्व उपायुक्त छवि रंजन 2011 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी हैं और इससे पहले राज्य समाज कल्याण विभाग के निदेशक भी रह चुके हैं।