भागलपुर जिले के गोराडीह थाना क्षेत्र में पुलिस पर सात मजदूरों को पूछताछ के लिए थाने बुलाकर बर्बर तरीके से पीटने और उन्हें नंगा कर प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल डालने का आरोप लगा है। पीड़ित मजदूरों में धनेश्वर दास, अंबेडकर दास, फुलेश्वर दास, संजीत दास, कन्हैया दास, और संतोष दास शामिल हैं। ये सभी मजदूर 14 जून 2024 की रात किसान सुमेश मंडल की हत्या के मामले में पूछताछ के लिए थाने लाए गए थे।
घटना की पूरी कहानी: पीड़ित मजदूरों ने बताया कि सुमेश मंडल की पत्नी और बेटे ने पुलिस को पहले ही बता दिया था कि हत्या में व्यापारी मंडल समेत अन्य लोगों की संलिप्तता है। पुलिस ने व्यापारी मंडल को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया था। बावजूद इसके, पुलिस ने मजदूरों को थाने लाकर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। पीड़ितों ने बताया कि उन्हें गोराडीह गांव से जबरन लाया गया और एक कमरे में बंद कर हाथ-पैर बांधकर बेरहमी से पिटाई की गई। उनके प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल डालकर तड़पाया गया और बेल्ट से भी मारा गया।
पुलिस पर लगे आरोप: पीड़ितों ने गोराडीह थाने के तीन-चार पुलिस अधिकारियों पर अमानवीय यातना और पिटाई करने का आरोप लगाया है। धनेश्वर दास ने बताया कि पुलिस ने उनसे पांच हजार रुपये भी मांगे। मजदूरों ने कहा कि उन्हें अपराधियों का नाम बताने के लिए मजबूर किया गया।
पुलिस का बयान: विधि-व्यवस्था डीएसपी चंद्रभूषण कुमार ने मजदूरों के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि पूछताछ के दौरान किसी तरह का अमानवीय कृत्य नहीं किया गया। थानाध्यक्ष शांता सुमन ने भी आरोपों को गलत बताया और कहा कि पूछताछ के लिए वे लोग बुलाए गए थे जो सुमेश मंडल के साथ हमेशा रहते थे। उन्होंने कहा कि पेट्रोल डालने की बात झूठी है और यह अनुसंधान को भटकाने का प्रयास है।
मजदूरों का अस्पताल में इलाज: छह मजदूरों को ग्रामीणों ने जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया है, जहां उन्होंने पुलिस ज्यादती की पूरी कहानी सुनाई। पीड़ित मजदूरों ने बताया कि पुलिस ने 24 घंटे तक उन्हें थाने में रखा और बर्बरता से पीटा।