रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) और उसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी को बड़ा झटका लगा है। बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा ने शुक्रवार को स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा है कि उनके ऋण खातों को ‘धोखाधड़ी’ (फ्रॉड) वाले कैटेगरी में डाल दिया है। यह कदम उन ऋणों से जुड़ा है जो कंपनी के कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) में जाने से पहले लिए गए थे।
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आरकॉम ने स्पष्ट किया है कि ये सभी ऋण उसके दिवाला प्रक्रिया शुरू होने से पहले के हैं और अब इनका निपटारा या तो समाधान योजना के तहत या फिर दूसरे तरीके से होना चाहिए। कंपनी वर्तमान में रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल अनीश निरंजन ननावटी के प्रबंधन में है। अनिल अंबानी अब कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल नहीं हैं। कंपनी ने बताया कि समाधान योजना पर ऋणदाताओं की समिति (CoC) ने मंजूरी दे दी है और अब इसे राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) की स्वीकृति का इंतजार है।
अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने कहा कि बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) और अंबानी के ऋण खाते को वर्गीकृत करने की कार्रवाई 12 साल से अधिक पुराने मामले (2013 से संबंधित) से जुड़ी है। अंबानी 2006 से 2019 तक केवल गैर-कार्यकारी निदेशक रहे और कंपनी के दैनिक संचालन या निर्णयों में उनकी कोई भूमिका नहीं रही। आरकॉम के 14 बैंकों का एक कंसोर्टियम था, लेकिन 10 साल बाद चुनिंदा ऋणदाता अब कार्रवाई कर रहे हैं। फिलहाल कंपनी का प्रबंधन SBI के नेतृत्व वाली ऋणदाता समिति और एक रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल की देखरेख में है। मार्च 2020 में ऋणदाता समिति ने समाधान योजना को मंजूरी दी थी, लेकिन मामला अभी भी NCLT, सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायिक मंचों में लंबित है। अंबानी ने सभी आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि वे कानूनी सलाह के अनुसार उचित कदम उठाएंगे।






















