केंद्रीय गृह मंत्री और अमित शाह ने 3 सितंबर को दिल्ली में बड़ी बैठक बुलाई है। कयास लगाया जा रहा है कि इस बैठक को सीट शेयरिंग पर “फाइनल डील” के तौर पर देखा जा रहा है। बिहार बीजेपी के दिग्गज नेता प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और नित्यानंद राय इसमें शामिल होंगे। संकेत साफ हैं कि अब चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
गरीब को घर-खेत और टैक्टर दिलाएंगे जीतन राम मांझी… चुनाव से पहले कर दिया बड़ा ऐलान
बैठक से ठीक पहले पीएम मोदी बिहार को लेकर एक्टिव हो गए हैं। 2 सितंबर को वह वर्चुअली बिहार को करोड़ों की योजनाओं का तोहफा देंगे और 13 सितंबर को पूर्णिया एयरपोर्ट का उद्घाटन करने खुद बिहार आएंगे। साफ है कि बीजेपी अपनी चुनावी रणनीति को दिल्ली से लेकर पटना तक धार देने में जुटी जोरों से जुट चुकी है.इधर एनडीए खेमे में कार्यकर्ता सम्मेलन जोर-शोर से चल रहे हैं। नीतीश सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाया जा रहा है और साथ ही विपक्ष पर हमला बोलते हुए लालू यादव के “जंगलराज” की याद दिलाई जा रही है।
2020 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो एनडीए ने 125 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था। बीजेपी 74 सीटों पर विजयी रही थी जबकि जेडीयू को 43 पर ही संतोष करना पड़ा। मांझी की ‘हम’ ने 7 में से 4 सीटें और मुकेश सहनी की वीआईपी ने 11 में से 4 सीटें जीती थीं। हालांकि इस बार समीकरण बदले हुए हैं सहनी अब महागठबंधन के साथ हैं, जबकि चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा एनडीए खेमे में लौट आए हैं। एनडीए और महागठबंधन के बीच 2020 में वोट का अंतर महज 2 फीसदी रहा था। यही वजह है कि इस बार सीट बंटवारे का हर फैसला बेहद संवेदनशील है। बीजेपी चाहेगी कि अपने “बिग ब्रदर” वाले रोल में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़े, जबकि जेडीयू अपनी परंपरागत सीटों से समझौता करने को तैयार नहीं दिख रही। यही वह गांठ है, जिसे सुलझाने के लिए शाह की बैठक को निर्णायक माना जा रहा है।





















