Agiaon Vidhan Sabha 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच आरा जिले की अगिआंव विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 195) सुर्खियों में है। यह सीट अनुसूचित जाति (SC) वर्ग के लिए आरक्षित है और 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। तब से यह क्षेत्र बिहार की राजनीति का अहम केंद्र बन चुका है। नक्सल प्रभाव वाला इलाका माने जाने वाले अगिआंव में हमेशा से वामपंथी राजनीति का प्रभाव देखने को मिला है।
चुनावी इतिहास
2010 में हुए पहले चुनाव में भाजपा ने यहां जीत दर्ज की थी, लेकिन 2015 में जदयू ने बाजी मार ली। उस चुनाव में महागठबंधन की ओर से जदयू के प्रभुनाथ प्रसाद को 52,276 वोट मिले थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी शिवेश कुमार को 37,572 वोट और भाकपा (माले) के मनोज कुमार मंजिल को 31,789 वोट हासिल हुए। यह नतीजा साफ करता है कि इस सीट पर मुकाबला हमेशा त्रिकोणीय रहा है।
2020 के विधानसभा चुनाव में अगिआंव सीट पर राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गए। सीपीएमएल (भाकपा-माले) के मनोज मंजिल ने 62% वोट पाकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। जदयू के प्रभुनाथ प्रसाद 27% वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे। हालांकि, आठ साल पुराने एक हत्या मामले में मनोज मंजिल को दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई। इस वजह से 2024 में उपचुनाव हुए।
Barhara Vidhan Sabha 2025: जातीय गणित और पुराने गढ़ की बदलती तस्वीर
उपचुनाव में फिर से भाकपा-माले ने अपनी पकड़ साबित की और पार्टी प्रत्याशी शिवप्रकाश रंजन ने जदयू के प्रभुनाथ प्रसाद को 29,835 मतों के अंतर से हराकर सीट बरकरार रखी। इस जीत ने यह स्पष्ट कर दिया कि अगिआंव में माले का मजबूत जनाधार कायम है और जनता अब भी वामपंथी राजनीति पर भरोसा जता रही है।
जातीय समीकरण
अगिआंव में करीब 2.75 लाख से अधिक मतदाता हैं और लगभग 300 पोलिंग बूथ बनाए जाते हैं। यह सीट अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्र मानी जाती है, जहां दलित और गरीब तबके का झुकाव भाकपा-माले की ओर लंबे समय से रहा है। यही कारण है कि यहां वामपंथियों को स्थायी समर्थन मिलता है।
इस सीट के अलग होने से पहले यह सहार विधानसभा के अंतर्गत आती थी और नक्सल आंदोलन की छाप यहां गहरी रही है। यही सामाजिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि इसे बिहार की सबसे चर्चित सीटों में से एक बनाती है।
2025 के विधानसभा चुनाव में फिर से भाकपा-माले, जदयू और भाजपा के बीच सीधा टकराव देखने को मिल सकता है। लेकिन वर्तमान परिस्थिति में भाकपा-माले का आधार सबसे मजबूत नजर आ रहा है। सवाल यह होगा कि क्या माले इस सीट पर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर पाएगी या जदयू और भाजपा मिलकर समीकरण बदल देंगे।