बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में चुनावी सरगर्मी के बीच कांग्रेस द्वारा जारी किए गए आरोपपत्र ने सियासी माहौल को और गर्मा दिया है। राज्य की NDA सरकार पर भ्रष्टाचार, शिक्षा व्यवस्था में गिरावट और पेपर लीक जैसे गंभीर आरोपों के जवाब में बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस बिहार की चार्जशीट जारी कर रही है तो उसे ईमानदारी से विकास की उपलब्धियों का भी उल्लेख करना चाहिए, क्योंकि नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य ने जिस तरह तरक्की की है, वह किसी से छिपी नहीं है।
अशोक चौधरी ने कहा कि जब नीतीश कुमार ने बिहार की बागडोर संभाली थी, उस समय राज्य की विकास दर मात्र 2.5% थी। आज यह दर डबल डिजिट में पहुंच चुकी है, जो बताता है कि सरकार ने बुनियादी सुधारों और सामाजिक सशक्तिकरण पर गंभीरता से काम किया है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले बिहार में 40% लोग गरीबी रेखा के नीचे थे, जबकि नीतीश सरकार की नीतियों से अब 30% आबादी गरीबी रेखा के ऊपर आई है।
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उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि “नीतीश कुमार के कार्यकाल में 20 सालों में एक भी नरसंहार नहीं हुआ, जबकि पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान 118 नरसंहार हुए थे। क्या कांग्रेस अपनी चार्जशीट में इस परिवर्तन का उल्लेख करेगी?” चौधरी ने राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की ओर इशारा करते हुए कहा कि “पहले बिहार में मात्र 700 मेगावॉट बिजली की खपत थी, जो आज बढ़कर 8000 मेगावॉट तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा, जहां कभी केवल दो इंजीनियरिंग कॉलेज थे, अब 38 जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित किए जा चुके हैं।”
क्या है कांग्रेस के आरोप पत्र में
कांग्रेस ने अपने आरोपपत्र में दावा किया कि बिहार का शिक्षा बजट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। पार्टी ने आंकड़ों के हवाले से कहा कि 2025-26 का राज्य शिक्षा बजट ₹60,954 करोड़ था, लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार में गुम हो गया। कांग्रेस ने उच्च शिक्षा की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि 2021-22 के सर्वेक्षण के अनुसार, बिहार का सकल नामांकन अनुपात (GER) केवल 17% है, यानी 18-23 आयु वर्ग के 1.36 करोड़ युवाओं में से केवल 23 लाख छात्र ही उच्च शिक्षा में नामांकित हैं।
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राज्य में उच्च शिक्षा संस्थानों की संख्या भी राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। बिहार में कुल 37 विश्वविद्यालय, 1,092 कॉलेज और 315 स्वतंत्र संस्थान हैं, यानी कुल 1,387 उच्च शिक्षा संस्थान। लेकिन प्रति लाख जनसंख्या पर मात्र 7 कॉलेज हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 30 है। कांग्रेस का आरोप है कि यह स्थिति सरकार की विफल शिक्षा नीति का परिणाम है।
इसके अलावा, कांग्रेस ने परीक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार और पेपर लीक उद्योग को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा है। रिपोर्ट में कहा गया कि 2017 से 2024 के बीच राज्य में दर्जनों भर्ती परीक्षाओं—जैसे पुलिस कांस्टेबल, बीपीएससी, नीट, अमीन और सीएचओ भर्ती—में पेपर लीक के मामले सामने आए। इन घोटालों के जरिए कथित रूप से करोड़ों रुपये की उगाही की गई, जिससे लाखों अभ्यर्थी प्रभावित हुए।






















