Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल अब पूरी तरह गरमाने लगा है। राजधानी पटना से लेकर गांव के चौपाल तक हर जगह एक ही चर्चा है कि “नीतीश या तेजस्वी?” इसी सियासी बहस के बीच सामने आया है C-Voter का नया सर्वे, जिसने बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। सर्वे के नतीजों ने यह साफ कर दिया है कि जनता अब भी ‘सुशासन बाबू’ नीतीश कुमार पर भरोसा रखती है, जबकि तेजस्वी यादव भी पीछे नहीं हैं और युवा मतदाताओं के बीच तेजी से अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं।
C-Voter के इस ताजा सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव में बेहतर मुख्यमंत्री कौन है, तो 46% लोगों ने नीतीश कुमार को अपनी पहली पसंद बताया। वहीं 41% मतदाताओं ने तेजस्वी यादव के नाम पर भरोसा जताया। यानी दोनों नेताओं के बीच मुकाबला कांटे का है, लेकिन फिलहाल नीतीश कुमार मामूली अंतर से आगे हैं।
माना जा रहा है कि नीतीश कुमार की हालिया योजनाएं जैसे महिलाओं को 10-10 हजार रुपये की सीधी सहायता, वृद्धा पेंशन योजना में बढ़ोतरी, और आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय में बढ़ावा सीधे तौर पर जनता के बीच सकारात्मक असर डाल रही हैं। यही वजह है कि सरकार से जनता की संतुष्टि का स्तर स्थिर है। सर्वे के मुताबिक, 62% लोग बिहार सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं, जबकि 36% असंतुष्ट।
दिलचस्प बात यह है कि फरवरी में किए गए सर्वे में भी 62% जनता ने संतुष्टि जताई थी, लेकिन असंतुष्टों का ग्राफ 35% से बढ़कर अब 36% तक पहुंचा है। यानी सरकार को अपनी नीतियों पर कामयाब बने रहने के लिए थोड़ा और जोर लगाना होगा।
सीएम नीतीश कुमार की व्यक्तिगत लोकप्रियता में सुधार देखने को मिला है। फरवरी में जहां 58% लोग उनसे असंतुष्ट थे, वहीं अब आंकड़ा उलट गया है और 62% लोग संतुष्ट हैं। ये रुझान नीतीश कुमार के अनुभव और शासन की स्थिरता को दर्शाता है। वहीं तेजस्वी यादव के लिए यह सर्वे संकेत देता है कि युवा नेतृत्व की छवि मजबूत तो हो रही है, पर जनता अभी भी ‘अनुभव बनाम उम्मीद’ की लड़ाई में नीतीश कुमार को ज्यादा भरोसेमंद मान रही है।
चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, ऐसे में सर्वे के ये नतीजे न सिर्फ जेडीयू-बीजेपी गठबंधन के लिए राहत भरे हैं, बल्कि आरजेडी खेमे के लिए रणनीति में फेरबदल का संकेत भी हैं। अब आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या तेजस्वी यादव इस अंतर को पाट पाएंगे या फिर नीतीश कुमार एक बार फिर “सुशासन” के नाम पर जनता का जनादेश हासिल करेंगे।






















