Kudhani Vidhan Sabha 2025: कुढ़नी विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 93) मुजफ्फरपुर जिले के ग्रामीण इलाकों में स्थित है और हमेशा से बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाती रही है। यह सीट मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। पिछले दो दशकों में यहां सत्ता के समीकरण कई बार बदले हैं और यही वजह है कि कुढ़नी को राजनीतिक दृष्टि से अहम माना जाता है।
चुनावी इतिहास
जेडीयू के दबदबे वाले इस इलाके में 2005 से लेकर 2010 तक लगातार तीन बार मनोज कुमार सिंह ने जीत दर्ज की और कुढ़नी को अपने नाम किया। लेकिन 2015 में यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई जब केदार प्रसाद गुप्ता ने जेडीयू को कड़ी टक्कर देकर सत्ता छीन ली। इस चुनाव में बीजेपी को 42.33% वोट और जेडीयू को 35.65% वोट मिले थे। 2015 का यह मुकाबला बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लेकर आया।
Sakra Vidhan Sabha 2025: जातीय संतुलन और राजनीतिक इतिहास से तय होगी बाज़ी
इसके बाद 2020 में परिस्थितियां फिर बदलीं और आरजेडी के अनिल कुमार ने बाजी मार ली। उन्होंने 78549 वोट हासिल किए जबकि बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता को 77837 वोटों पर संतोष करना पड़ा। हालांकि, 2022 में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने वापसी करते हुए फिर से यह सीट जीत ली और केदार गुप्ता ने जेडीयू उम्मीदवार मनोज कुशवाहा को 3645 वोटों से पराजित कर दिया।
कुढ़नी विधानसभा में चुनावी परिणामों के इस उतार-चढ़ाव से साफ है कि यहां मतदाता हर चुनाव में नया संदेश देते हैं। यह सीट किसी एक दल की गारंटी नहीं बन पाई है, बल्कि समय-समय पर जनता ने बदलाव को तरजीह दी है।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की बात करें तो कुढ़नी पूरी तरह ग्रामीण बहुल सीट है और यहां जातिगत गणित ही उम्मीदवार की जीत-हार तय करता है। लगभग 3.10 लाख मतदाताओं में सबसे बड़ी हिस्सेदारी कुशवाहा जाति की है, जिनकी संख्या करीब 40 हजार है। इनके बाद वैश्य समाज 33 हजार, सहनी समाज 25 हजार और यादव समाज 23 हजार मतदाताओं के साथ निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा कोइरी और कुर्मी जातियां भी प्रभावी स्थिति में हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति मतदाताओं की संख्या लगभग 19% है जबकि मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 22 हजार के आसपास मानी जाती है। वहीं अगड़ी जातियों के करीब 45 हजार मतदाता भी इस क्षेत्र में चुनावी दिशा तय करने में सक्षम हैं।
इन समीकरणों को देखते हुए 2025 का विधानसभा चुनाव कुढ़नी के लिए बेहद रोचक हो सकता है। बीजेपी अपनी 2022 की जीत को बनाए रखने की कोशिश करेगी, वहीं आरजेडी और जेडीयू इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति बनाएंगे। जातीय आधार, विकास के मुद्दे और स्थानीय समीकरण इस बार भी निर्णायक कारक साबित होंगे।






















