बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच दरभंगा जिले की कुशेश्वरस्थान सीट पर सियासी समीकरणों में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। महागठबंधन के समर्थन से चुनाव लड़ रहे विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रत्याशी गणेश भारती का नामांकन रद्द कर दिया गया है। इस फैसले ने पूरे महागठबंधन की रणनीति को झटका दे दिया है, क्योंकि अब इस सीट पर गठबंधन का कोई आधिकारिक उम्मीदवार मैदान में नहीं बचा है।
चुनाव आयोग ने गणेश भारती का नामांकन इसलिए अमान्य करार दिया क्योंकि उन्होंने वीआईपी के सिंबल पर पर्चा दाखिल किया था, लेकिन सिंबल पत्र पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी के हस्ताक्षर मौजूद नहीं थे। यही तकनीकी खामी उनके नामांकन के रद्द होने का मुख्य कारण बनी। सूत्रों के मुताबिक, यह चूक महागठबंधन की आंतरिक समन्वय की कमजोरी को उजागर करती है।
दरअसल, गणेश भारती को शुरुआत में राजद की ओर से टिकट दिया गया था, लेकिन महागठबंधन के अंदर सीटों के पुनर्वितरण के बाद कुशेश्वरस्थान सीट वीआईपी पार्टी को सौंप दी गई। इसके बाद उन्हें वीआईपी का उम्मीदवार घोषित किया गया। लेकिन सिंबल से जुड़ी औपचारिकताओं को समय पर पूरा न करने की वजह से अब गठबंधन इस सीट पर मैदान से बाहर हो गया है।
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इस घटनाक्रम से जदयू प्रत्याशी अतिरेक कुमार को सीधा फायदा मिल सकता है। क्योंकि अब महागठबंधन का कोई मजबूत उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं है, ऐसे में वोटों का बिखराव होना तय है। बिहार की राजनीति में “सिंबल वोटिंग पैटर्न” यानी मतदाता का पार्टी के प्रतीक चिन्ह के आधार पर वोट देना, हमेशा निर्णायक रहा है। इसलिए वीआईपी सिंबल से जुड़ी यह गड़बड़ी महागठबंधन के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकती है।
कुशेश्वरस्थान सीट को दरभंगा क्षेत्र की राजनीतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील और प्रतीकात्मक मानी जाती है। पिछली बार यहां राजद ने यह सीट जीती थी, लेकिन अब नामांकन विवाद ने समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस घटनाक्रम से महागठबंधन की एकता और संगठनात्मक क्षमता पर भी सवाल उठे हैं। खासकर उस समय जब बिहार चुनाव में सीट बंटवारे और उम्मीदवारों को लेकर पहले से ही असंतोष के स्वर उठ रहे हैं।






















