बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) की तारीख़ जैसे-जैसे नज़दीक आ रही है, राज्य की सियासी सरगर्मियाँ भी चरम पर पहुँच गई हैं। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सभी दल अपनी तैयारियों में पूरी ताक़त झोंक चुके हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में जदयू नेताओं और संभावित उम्मीदवारों के साथ अहम बैठक की। इस बैठक का मकसद सिर्फ़ टिकट वितरण पर राय लेना नहीं था, बल्कि कार्यकर्ताओं और जनता के बीच मौजूदा विधायकों की छवि और उनके कामकाज का फीडबैक भी जुटाना था।
बैठक से बाहर निकलने के बाद जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि नीतीश कुमार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि उम्मीदवार चयन सिर्फ़ जमीनी हकीकत और जनता की राय पर आधारित होगा। कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री को बताया कि किस विधायक ने क्षेत्र में क्या-क्या काम किया है, और किन मुद्दों पर जनता संतुष्ट या असंतुष्ट है। इसके अलावा कई नेताओं और स्थानीय कार्यकर्ताओं ने अपनी दावेदारी भी पेश की। नीतीश के इस कदम से यह संदेश गया है कि जदयू इस बार टिकट बंटवारे में संतुलन और पारदर्शिता दिखाना चाहती है।
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वहीं दूसरी ओर, भाजपा ने भी अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। पटना स्थित प्रदेश कार्यालय में आज भाजपा की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई जिसमें प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और बिहार चुनाव प्रभारी केशव प्रसाद मौर्य सहित कई बड़े नेता शामिल हुए। बैठक में चुनाव समिति की कार्ययोजना और उम्मीदवार चयन पर गहन चर्चा हुई।
प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने बताया कि कल होने वाली चुनाव समिति की बैठक में भाजपा की मौजूदा सीटों पर समीक्षा की जाएगी। इसके साथ ही, पार्टी की ओर से तैयार उम्मीदवारों की प्रारंभिक सूची पर स्क्रीनिंग होगी और उसे अंतिम रूप देकर केंद्रीय नेतृत्व को भेजा जाएगा। यह संकेत है कि भाजपा अपने संगठन और सीट प्रबंधन को लेकर बेहद गंभीर है और किसी भी तरह की चूक से बचना चाहती है।






















