बिहार सरकार ने राज्य प्रशासनिक संरचना में एक बड़ा कदम उठाते हुए तीन नए विभागों का गठन कर दिया है। मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग (Bihar Cabinet Decision) की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि बढ़ते सरकारी दायित्व, कार्यों के विस्तार और जनता तक सेवाओं को और अधिक असरदार तरीके से पहुँचाने के लिए यह अहम फैसला लिया गया है। अब तक बिहार में 45 विभाग कार्यरत थे, जो इस नए निर्णय के बाद बढ़कर 48 हो गए हैं। अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने 9 दिसंबर 2025 को इन विभागों के गठन से जुड़ा आधिकारिक आदेश जारी कर दिया है।
सरकार के इस कदम को शासन व्यवस्था को अधिक विशेषज्ञतापूर्ण और लक्ष्य आधारित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खासतौर पर युवाओं, उच्च शिक्षा और उभरते हवाई नेटवर्क पर फोकस करके प्रशासनिक ढांचे को नई दिशा देने की कोशिश स्पष्ट झलकती है।
नए बनाए गए विभागों में सबसे महत्वपूर्ण युवा, रोजगार एवं कौशल विकास विभाग है, जो राज्य के युवाओं को नई दिशा देने के लिए खास तौर पर बनाया गया है। कौशल विकास, रोजगार सृजन और करियर उन्नयन को केंद्र में रखकर यह विभाग राज्य में युवाओं के लिए नई नीतियों का खाका तैयार करेगा।
अब तक शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक की सभी जिम्मेदारियाँ आती थीं, लेकिन गुणवत्ता सुधार और उच्च शिक्षा के संकट को देखते हुए सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग को स्वतंत्र स्वरूप में स्थापित कर दिया है। इससे राज्य के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अकादमिक सुधार और संसाधनों के बेहतर उपयोग की उम्मीद जताई जा रही है।
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राज्य में हवाई कनेक्टिविटी की मांग काफी समय से बढ़ रही थी। इसी को ध्यान में रखते हुए सिविल विमानन निदेशालय को अलग कर एक स्वतंत्र सिविल विमानन विभाग का गठन कर दिया गया है। इससे हवाई अड्डों के विस्तार, नई रूट योजना और एअर ट्रैफिक नेटवर्क को मजबूत करने में तेजी आएगी, जो बिहार की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
तीन विभागों के पुनर्गठन ने भी बिहार में प्रशासनिक ढांचे को नई रूपरेखा दी है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग को अब डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग के नाम से जाना जाएगा, जिससे दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आय में इजाफे पर जोर दिया जाएगा।
श्रम संसाधन विभाग का नाम बदलकर श्रम संसाधन एवं प्रवासी श्रमिक कल्याण विभाग किया गया है। यह बदलाव बिहार के उन लाखों प्रवासी श्रमिकों की जरूरतों और उनके कल्याण से जुड़े मुद्दों को केंद्र में रखने के उद्देश्य से किया गया है। वहीं कला, संस्कृति एवं युवा विभाग से ‘युवा’ शब्द हटाकर इसका नाम कला एवं संस्कृति विभाग कर दिया गया है, क्योंकि अब युवा मामलों को नया विभाग संभालेगा।






















