Lalganj Vidhan Sabha 2025: बिहार की राजनीति में वैशाली जिले की लालगंज विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 124) का महत्व हमेशा खास रहा है। यह सीट लंबे समय तक बाहुबली नेता और पूर्व जेडीयू विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला के दबदबे के लिए जानी जाती रही, लेकिन बदलते राजनीतिक समीकरणों और जातीय गठजोड़ ने इस क्षेत्र के चुनावी नतीजों का रुख कई बार अप्रत्याशित बना दिया है।
चुनावी इतिहास
लालगंज विधानसभा हाजीपुर (SC) लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और इसे सामान्य श्रेणी में रखा गया है। यहां की सबसे बड़ी राजनीतिक कहानी यह है कि कांग्रेस, जिसने 1985 तक लगातार जीत दर्ज की थी, पिछले चार दशकों से सत्ता से बाहर है। हालांकि 2020 के चुनाव में उसने दूसरा स्थान हासिल कर अपनी वापसी की कोशिश जरूर दिखाई।
इस सीट की सियासत 2000 के दशक तक पूरी तरह मुन्ना शुक्ला के इर्द-गिर्द घूमती रही। 2000 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरे मुन्ना शुक्ला ने ऐसी पकड़ बनाई कि आरजेडी और बीजेपी जैसी बड़ी पार्टियां भी लंबे समय तक यहां जीत का स्वाद नहीं चख सकीं। तीन बार विधायक रहे मुन्ना शुक्ला ने दो बार लोजपा उम्मीदवार राज कुमार साह को मात दी।
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हालांकि 2010 में उनकी पत्नी अन्नू शुक्ला जेडीयू से विधायक बनीं, लेकिन 2015 में माहौल बदल गया। लोजपा प्रत्याशी राजकुमार साह ने बाहुबली मुन्ना शुक्ला को 20,293 वोटों से हराकर सीट हथिया ली। उस समय 56.78% मतदान दर्ज हुआ था।
2020 का चुनाव लालगंज की राजनीति के लिए सबसे बड़ा मोड़ साबित हुआ। इस बार भारतीय जनता पार्टी के संजय कुमार सिंह ने अप्रत्याशित जीत दर्ज की। उन्हें 70,750 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के राकेश कुमार 44,451 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे मुन्ना शुक्ला तीसरे और पिछली बार के विजेता लोजपा के राजकुमार साह मात्र 11,281 वोट पाकर चौथे नंबर पर सिमट गए।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण इस सीट पर हमेशा निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 70,634 हैं, मुस्लिम मतदाता 27,615 यानी करीब 8.3% हैं। यादव, मुस्लिम, राजपूत और भूमिहार समुदाय मिलकर यहां का सियासी गणित तय करते हैं, वहीं रविदास और पासवान वोट भी अहम माने जाते हैं। यही वजह है कि यहां हर चुनाव में जातीय ध्रुवीकरण की गहरी छाप देखने को मिलती है।
आने वाले विधानसभा चुनाव में लालगंज सीट पर मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है। एक ओर कांग्रेस अपनी पुरानी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है, तो दूसरी ओर बीजेपी अपनी जीत को दोहराने की रणनीति पर काम कर रही है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि लालगंज विधानसभा का आने वाला चुनाव बिहार की राजनीति की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।






















