बिहार की राजनीति गुरुवार 20 नवंबर को एक बार फिर ऐतिहासिक मोड़ लेने वाली है, जब नीतीश कुमार शपथ लेकर राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपना दसवां कार्यकाल शुरू करेंगे। विधानसभा चुनाव में एनडीए की निर्णायक और अभूतपूर्व जीत के बाद सत्ता परिवर्तन के इस पल को सरकार भव्य स्वरूप देने जा रही है। शपथ ग्रहण समारोह पटना के गांधी मैदान में आयोजित होगा, जहां बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति इसे ऐतिहासिक आयोजन का रूप देने वाली है।
गुरुवार शाम करीब चार बजे नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महत्वपूर्ण क्षण के साक्षी बनेंगे। प्रधानमंत्री के दोपहर तीन बजे पटना पहुंचने का कार्यक्रम तय है, जिसके तुरंत बाद शपथ ग्रहण की औपचारिकताएं शुरू होंगी। बिहार की राजनीति में यह अवसर केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि जनादेश की उस दिशा को भी समझने का मौका होगा, जिसने जातीय समीकरणों से ऊपर उठकर विकास और स्थिरता के पक्ष में मतदान किया है।
नीतीश कुमार ने गाँधी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी का लिया जायजा.. मतदाताओं को भी निमंत्रण
भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने इस जीत को बिहार की चेतना में आए बदलाव का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि बिहार ने यह साबित कर दिया कि अब वह केवल जातीय पहचान के आधार पर नहीं, बल्कि विकास और नेतृत्व की विश्वसनीयता के आधार पर निर्णय लेने लगा है। उनके अनुसार नीतीश कुमार पर राज्य की जनता और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व पर देश का भरोसा इस चुनाव की सबसे बड़ी सफलता है।

उन्होंने यह भी कहा कि शपथ समारोह में देशभर से कई मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, एनडीए के शीर्ष नेता, सांसद, विधायक और हजारों लोग शामिल होंगे। प्रशासनिक तैयारियों का जिम्मा मुख्य सचिव से लेकर डीजीपी और पटना डीएम तक संभाल रहे हैं, ताकि विशाल भीड़ के बावजूद किसी को कोई असुविधा न हो। प्रसाद ने यह भी उल्लेख किया कि बड़ी संख्या में महिलाएं भी कार्यक्रम में उपस्थित होंगी, जिससे यह आयोजन बिहार की सामाजिक भागीदारी का अनोखा उदाहरण बनेगा।






















