2025 के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट न जीत पाने के बाद प्रशांत किशोर ने खुद को आत्ममंथन की प्रक्रिया में झोंक दिया है। गुरुवार को बेतिया स्थित ऐतिहासिक भितिहरवा गांधी आश्रम में उन्होंने एक दिन का मौन और उपवास रखा। यह कदम उन्होंने ऐसे समय में उठाया जब पटना के गांधी मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 26 मंत्रियों के साथ शपथ लेकर अपने नए कार्यकाल की शुरुआत की।
जन सुराज की ओर से आए बयानों ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी अपनी हार से भाग नहीं रही बल्कि उसे स्वीकार करते हुए नए सिरे से विचार कर रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने कहा कि यह मौन प्रायश्चित नहीं बल्कि तीन साल से चल रहे संघर्ष की समीक्षा है। उन्होंने कहा कि जन सुराज ने बिहार में व्याप्त गरीबी, बेरोजगारी, पलायन और शिक्षा की बदहाली को लेकर जो संवाद शुरू किया था, वह शायद जनता तक उतनी प्रभावी तरीके से नहीं पहुंच पाया, जितनी उम्मीद थी। उनके अनुसार चुनाव परिणाम इस बात का संकेत हैं कि लोग या तो जन सुराज की बात समझ नहीं पाए या फिर उसे गंभीरता से सुनने की जरूरत महसूस नहीं की।
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मनोज भारती ने मीडिया से बातचीत में स्वीकार किया कि पार्टी का अभियान अपेक्षित प्रभाव नहीं छोड़ पाया। उन्होंने कहा कि जनता की ओर से आया संदेश बेहद स्पष्ट है और जन सुराज इस बात को समझ चुका है कि बिहार की वास्तविक स्थितियों और समाधान के रास्तों को लोगों के सामने और ज्यादा मजबूती से रखने की जरूरत है। उन्होंने घोषणा की कि पार्टी अब एक बार फिर से अपने अभियान को नए स्वरूप और नई रणनीति के साथ शुरू करेगी ताकि जनता को वास्तविक समस्याओं और उनके समाधान से दोबारा जोड़ने का प्रयास किया जा सके।
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इसके साथ ही जन सुराज पार्टी ने संकेत दिए कि वे एक सक्रिय और जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका में उतरने को तैयार हैं। मनोज भारती ने कहा कि पार्टी लोकतंत्र की रक्षा, जनता की भलाई और उनके हितों की सुरक्षा के लिए अपनी भूमिका निभाएगी।






















