केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के हालिया बयान ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है। रिजिजू ने संसदीय लोकतंत्र की गरिमा का हवाला देते हुए कहा था कि संसद और विधानसभाओं में मतभेद और टकराव स्वाभाविक हैं, लेकिन कामकाज में रुकावट डालना लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ है। उनके इस बयान को विपक्षी नेताओं ने सीधे-सीधे भाजपा की राजनीति और एजेंसियों के दुरुपयोग से जोड़ा और तीखा पलटवार किया।
राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने रिजिजू पर निशाना साधते हुए कहा कि वे किसे गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी ईडी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और साफ कहा है कि यह एजेंसी धीरे-धीरे राजनीतिक पार्टी का रूप ले चुकी है। मनोज झा ने आरोप लगाया कि भाजपा का सिंहासन डगमगा रहा है और पूरे देश में उनके खिलाफ माहौल बन रहा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जिन नेताओं को सालों जेल में रखा गया, वे बाद में बेदाग़ बाहर आ गए, जो भाजपा की राजनीति का सच उजागर करता है।
आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं, “यह जो नया कानून (130वां संविधान संशोधन विधेयक) लाया गया है, वह गलत इरादे से बनाया गया है। इसे सत्ता का दुरुपयोग करने, जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके विपक्षी सरकारों को गिराने और विपक्षी नेताओं को परेशान करने के लिए लाया गया है। साथ ही, यह उनके वर्तमान सहयोगियों चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को फंसाने और डराने के लिए भी लाया गया है। चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार भी समझते हैं कि सबसे पहले निशाना वही होंगे। इससे बिहार में कोई डरने वाला नहीं है।”
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कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि राहुल गांधी ने हमेशा समय रहते सरकार को आगाह किया है। चाहे नोटबंदी हो, जीएसटी, या कोविड-19 का संकट, राहुल ने महंगाई, बेरोजगारी और वोट चोरी की आशंकाओं पर लगातार सवाल उठाए। अखिलेश ने कहा कि जिस तरह जनता अब राहुल गांधी के साथ सड़कों पर खड़ी है, यह साफ संकेत है कि उनकी बातों को देश का समर्थन मिल रहा है।
वहीं, कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने रिजिजू के बयान को भाजपा की बेचैनी करार दिया। उन्होंने कहा कि बिहार की क्रांति की धरती पर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में एक नई लहर उठ रही है। महागठबंधन की एकजुटता और जनता का भारी समर्थन भाजपा को असहज कर रहा है। इमरान ने आरोप लगाया कि जवाब देने में असमर्थ भाजपा अब “व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी” के जरिए भ्रामक कहानियाँ गढ़ रही है, जिनका जनता पर कोई असर नहीं होने वाला।
दरअसल, रिजिजू ने अपने संबोधन में कहा था कि संसद लोकतंत्र का केंद्र है और यहाँ टकराव होना स्वाभाविक है, लेकिन यह टकराव कामकाज की बाधा नहीं बनना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि विरोध और अवरोध में फर्क है और विपक्ष को रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए। हालांकि विपक्षी दलों का कहना है कि भाजपा लोकतंत्र और संसदीय परंपराओं की बात केवल भाषणों में करती है, जबकि व्यवहार में वह संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है।






















