दिसंबर का महीना बिहार की राजनीति के लिए बेहद अहम होने जा रहा है। विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार एक दिसंबर से शुरू हो रहा नया विधानसभा सत्र केवल परंपरागत औपचारिकता नहीं बल्कि सत्ता समीकरण, स्पीकर के चुनाव और सरकार की रणनीतिक शक्ति परीक्षण जैसा माना जा रहा है। यह सत्र 5 दिसंबर तक चलेगा जिसमें कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम होने वाले हैं, जो आने वाले दिनों की राजनीति की दिशा और गति तय करेंगे।
पहले दिन नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ ग्रहण होगा, जिससे विधानसभा की नई संरचना आधिकारिक रूप से सक्रिय हो जाएगी। यह दिन नए चेहरों, नए समीकरणों और नई सत्ता-राजनीति की शुरुआत का प्रतीक होगा। दूसरे दिन बिहार विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा, जो इस सत्र की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना माना जा रहा है, क्योंकि स्पीकर की कुर्सी सत्ता और विपक्ष के टकराव और रणनीति का केंद्र बन सकती है।
तीसरे दिन राज्यपाल का अभिभाषण होगा, जिसमें सरकार अपनी प्राथमिकताएँ, मिशन और नीति दिशा स्पष्ट करेगी। यह भाषण ही भविष्य की कार्यशैली का आधिकारिक खाका माने जाने वाला है। चौथे दिन इसी अभिभाषण पर चर्चा होगी और विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश करेगा जबकि सत्ता पक्ष प्रतिवाद और जवाब के साथ अपनी स्थिति मजबूत करेगा। यह दिन बहस का होगा और कई तीखे राजनीतिक हमले और जवाब देखने को मिल सकते हैं।
सत्र के अंतिम दिन द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी पर चर्चा होगी जिसमें बजट, योजनाओं और खर्चों पर सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी। मतदान के दौरान सत्ता और विपक्ष का शक्ति परीक्षण भी संभव है। यह दिन आर्थिक नीति और राजनीतिक रणनीति दोनों के स्तर पर अहम भूमिका निभाएगा।























