Biharsharif Vidhansabha 2025: बिहार की राजनीति में नालंदा जिले की बिहारशरीफ विधानसभा सीट (संख्या 172) एक अहम स्थान रखती है। नालंदा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह सीट न सिर्फ ऐतिहासिक राजनीतिक उतार-चढ़ाव की गवाह रही है, बल्कि यहां का जातीय समीकरण भी हर चुनाव में नए समीकरण गढ़ता है। 1967 में हुए पहले विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक इस सीट पर अलग-अलग दलों का प्रभाव देखने को मिला है।
चुनावी इतिहास
बिहारशरीफ की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) की जीत से हुई थी। CPI ने 1967 और 1969 में लगातार दो बार जीत दर्ज की, लेकिन 1972 में भारतीय जनसंघ ने यहां दस्तक दी। 1980 तक CPI इस सीट पर सक्रिय रही और उसके बाद यह पार्टी हाशिए पर चली गई। इसके बाद यहां की राजनीति का केंद्रबिंदु JDU, BJP और RJD बन गए।
साल 2000 में आरजेडी के सैयद नौशाद नबी ने चुनाव जीतकर यह साबित किया कि यादव और मुस्लिम वोट बैंक मिलकर मजबूत चुनौती पेश कर सकते हैं। हालांकि, इसके बाद JDU और BJP ने गठबंधन और रणनीतिक उम्मीदवारों के दम पर लगातार बढ़त बनाए रखी। डॉ. सुनील कुमार इस सीट की राजनीति में सबसे प्रभावशाली चेहरों में से एक बनकर उभरे। फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 और 2010 में उन्होंने जेडीयू के टिकट पर जीत हासिल की, लेकिन बाद में भाजपा में शामिल होकर भी वे लगातार अपनी पकड़ बनाए रहे।
2015 का चुनाव बेहद दिलचस्प रहा जब बीजेपी के डॉ. सुनील कुमार ने महागठबंधन के उम्मीदवार मोहम्मद अशगर को कांटे की टक्कर में मात दी। इस बार अंतर महज कुछ हजार वोटों का था। 2020 में स्थिति और स्पष्ट हो गई, जब बीजेपी के सुनील कुमार ने आरजेडी के सुनील कुमार को 15,102 वोटों से हराकर अपनी जीत सुनिश्चित की।
जातीय समीकरण
अगर जातीय समीकरण पर नजर डालें तो यहां 66.95% शहरी और 33.05% ग्रामीण आबादी का संतुलन उम्मीदवारों के लिए चुनौतीपूर्ण बनता है। अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 14.47% है जबकि एसटी का प्रभाव लगभग नगण्य है। मुस्लिम और यादव मतदाता लंबे समय से आरजेडी का आधार रहे हैं, वहीं कुर्मी समुदाय अक्सर बीजेपी और जेडीयू के पक्ष में एकजुट होकर वोट करता है। पासवान और अन्य छोटे वर्ग भी परिणाम को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी के सुनील कुमार अपनी पकड़ बरकरार रख पाते हैं या आरजेडी मुस्लिम-यादव समीकरण के सहारे फिर से वापसी करती है। बिहारशरीफ का राजनीतिक भविष्य नालंदा और पूरे बिहार की राजनीति की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।






















