जमशेदपुर: विधायक सरयू राय ने राज्य सरकार के कर्मियों के लिए कैशलेस इलाज को लेकर स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका पर आशंका जाहिर की है। इस मामले में उन्होंने झारखण्ड सरकार के प्रधान सचिव से मांग की है कि वे राज्य सरकार के कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए निविदा से चयनित बीमा कंपनी को शीघ्र कार्यादेश देना सुनिश्चित कराएं। सरयू ने दावा किया कि राज्य सरकार के कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने वाली संचिका स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के पास दो महीने से लंबित है। जबकि निविदा में प्रिमियम की न्यूनतम दर वाली बीमा कंपनी को उसके चयन का पत्र दे दिया गया है, निविदा समिति ने उसके चयन की मंजूरी भी दे दी है, वित्त विभाग और विधि विभाग की सहमति इस पर मिल गई है।
परन्तु बीमा कंपनी को कार्यादेश जारी करने के बदले संचिका स्वास्थ्य मंत्री के पास चली गई है और दो महीना से उनके यहां पड़ी हुई है। सरयू ने सवाल उठाते कहा है कि निविदा समिति के निर्णय के बाद संचिका मंत्री के पास जाने और लंबित रहने का कारण क्या हो सकता है? क्या मंत्री ने संचिका मांगा है ? वित्त और विधि विभाग की स्वीकृति मिलने के बाद निविदा की संचिका मंत्री के पास लंबित रहने का क्या तुक है? सरयू राय ने कहा कि इसके पहले भी 2023 में निविदा निकली थी। तीन सरकारी बीमा कंपनियों ने निविदा में भाग लिया था। एक तकनीकी दृष्टि से अयोग्य हो गया तो बाकी दो में जिसका दर न्यूनतम था उसे कार्यादेश देने के बदले निविदा ही रद्द कर दी गई। इस बार निविदा समिति, वित्त विभाग और विधि विभाग की सहमति के बावजूद बीमा कंपनी के चयन की संचिका स्वास्थ्य मंत्री के यहां लटकी हुई है।
क्या स्वास्थ्य मंत्री के यहां निविदा दर पर मोल भाव हो रहा है? रेट निगोसिएशन हो रहा है? अखबार में स्वास्थ्य मंत्री का बयान है कि तकनीकी अड़चनों को दूर किया जा रहा है। निविदा समिति, विधि विभाग की स्वीकृति के बाद कौन-सी ऐसी तकनीकी अड़चन है, जिसे मंत्री दो महीना से दूर कर रहे हैं। यह अड़चन तकनीकी है या वित्तीय है इसका खुलासा होना चाहिए। मंत्री के स्तर पर न्यूनतम दर वाली कंपनी से निगोसिएशन होता है तो इसकी जिम्मेदारी से सचिव समेत अन्य अधिकारी नहीं बच सकते हैं। बीमा कंपनी यदि कोई अवैधानिक दर वार्ता में लगी है तो इसका प्रतिकूल प्रभाव न केवल कंपनी की साख पर पड़ेगा, बल्कि इससे राज्य सरकार के कर्मचारियों की चिकित्सा सुविधा की गुणवता भी प्रभावित होगी। राज्य सरकार को करोड़ों का हो रहा नुकसान अलग है। सरयू ने स्वास्थ्य सचिव से आग्रह करते कहा है कि वे मंत्री के यहां से शीघ्र संचिका मंगाए और निविदा समिति का निर्णय लागू कराएं।