बजट को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि हमने हमेशा कहा है कि जिस आचरण की उम्मीद वे हमसे करते हैं, वह आचरण उनकी तरफ से भी होना चाहिए। चिराग पासवान ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत आरोप है कि नीति आयोग की बैठक में किसी का माइक बंद कर दिया गया। जिस तरह से पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी आक्रामक तरीके से बैठक छोड़कर चली गईं, मुझे लगता है कि यह व्यवहार है ग़लत था।
ऐसा लगता है जैसे ये विपक्ष की सोची-समझी रणनीति थी- अराजकता फैलाना और ध्यान अपनी ओर खींचना। अगर किसी राज्य को लगता है कि उनके साथ अन्याय हुआ है तो नीति आयोग ही ऐसा मंच है जहां आप उस मुद्दे को उठा सकते हैं। वहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उनकी (ममता बनर्जी) बात सुनना चाहती थीं, उन्हें बोलने का भरपूर मौका भी दिया गया। लेकिन उन्होंने अपनी बात सही से नहीं रखी।
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बिहार को बजट में मिली विशेष सहायता पर चिराग पासवान ने कहा कि जब उनकी (UPA) सरकार थी तब क्या हर राज्य का जिक्र करके राशि आवंटित की जाती थी। मैं दावे के साथ कहता हूं कि एक बजट ऐसा नहीं है जिसमें हर राज्य का जिक्र हो, समय-समय पर जिस राज्य को जरूरत पड़ी है उस राज्य को वह मदद दी गई है। मेरी समझ से परे है कि अगर एक राज्य का जिक्र किया गया है तो उसमें इतनी तकलीफ किस बात की है? सिर्फ हंगामा करने के उद्देश्य से इस तरह की बातें करना उचित नहीं है।
बता दें कि ममता बनर्जी ने कहा था कि बजट में बंगाल के साथ भेदभाव किया गया है। ममता ने कहा कि बजट के जरिए जो बंगाल को पैसा मिलना चाहिए था वो केंद्र सरकार ने रोक दिया है। हमारे साथ मोदी सरकार द्वारा भेदभाव किया गया है। यह बंगाल की जनता के साथ भेदभाव हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ बंगाल की अनदेखी नहीं बल्कि अन्य विपक्षी राज्यों की भी अनदेखी की गई है।
वही बिहार में मानसून सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सत्र से गायब रहे जिसको लेकर चिराग पासवान ने तेजस्वी यादव पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि जितना जरूरी परिवार का काम है उतना जरुरी विपक्ष की भूमिका सदन में होती है। अब हमें नहीं पता कि तेजस्वी यादव सत्र के दौरान बैठक में शामिल होने के लिए सदन में क्यों नहीं गए, लेकिन जो नेता प्रतिपक्ष की भूमिका होती है उन्हें निभाना चाहिए।