बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। बड़े नेताओं का दौरा बिहार में बढ़ गया है। इसी क्रम में कांग्रेस कार्यालय सदाक़त आश्रम पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें कांग्रेस बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारु, गुजरात के सांसद और गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवानी, बिहार विधानमंडल दल के नेता शकील अहमद खान, विधान परिषद दल के नेता डॉ मदन मोहन झा, नेशनल मीडिया कोऑर्डिनेटर अभय दुबे मौजूद रहे।
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इस दौरान शकील अहमद खान ने बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में जाति गणना हुई थी तो सभी पार्टियों की सर्वदलीय बैठक हुई थी। उसमें निर्णय लिया गया था कि निचले पायदान के लोगों को दो लाख देने का प्रावधान किया जाएगा। हम लोगों ने विधानसभा में भी इसका सवाल उठाया। लेकिन अभी तक लोगों को 2 लाख नहीं मिला।

वहीं कृष्ण अल्लावारु ने कहा कि विकास के पैमाने पर बिहार सबसे नीचे 27वें स्थान पर है। मोदी और नीतीश ने मिलकर बिहार को लोगों को सबसे नीचे ले जाने का काम किया है। हमारी सरकार कुछ दिनों के लिए थी तो निर्णय लिया गया था कि लोगों को दो-दो लाख छोटे लघु उद्योग शुरू करने के लिए दिया जाएगा। जैसे ही नीतीश कुमार ने पलटी मारी यह सारी स्कीम भूल गए। नीतीश कुमार और मोदी की सरकार ने बिहार के लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम किया। सवाल यह है कि बिहार की जनता को 27वां स्थान चाहिए या बेहतर बिहार चाहिए।

गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवानी ने कहा कि बिहार सरकार ने जातिगत गणना तो करवाया लेकिन केवल पॉलीटिकल माइलेज लेने के लिए। बिहार सरकार कुछ करना चाहती तो वह 9वीं अनुसूची में जरूर शामिल करवा लेती। बिहार सरकार जातिगत गणना को लेकर लोगों को मूर्ख बना रही। सरकार को जातिगत गणना को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारतीय समाज जाति में नहीं बटी होती तो, जाती जनगणन की बात नहीं आती. कांग्रेस पार्टी बिहार में सरकार बनाती है तो जातीय जनगणना से मिलने वाल लाभ लोगों को दिया जाएगा। जैसे तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है, वहां कांग्रेस ने करके दिखाया है। ये कांग्रेस का कमिटमेंट है। मोदी और उनके सहयोगी दल नहीं चाहते कि देश में जातीय जनगणना हो। डबल इंजन की सरकार मिलकर भारत के दलित आदिवासी को मूर्ख बना रहे हैं।