बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने बड़ा बयान देते हुए मौजूदा भाजपा-जेडीयू सरकार पर तीखा हमला बोला है। पटना के सदाकत आश्रम स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए और केंद्र की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बिहार का शैक्षणिक ढांचा चरमराया हुआ है।
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राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि एक समय था जब बिहार की शिक्षा व्यवस्था विश्व भर में आदर्श मानी जाती थी। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों में तिब्बत, चीन, जापान, कोरिया, सुमात्रा, मंगोलिया जैसे देशों से विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते थे। ह्वेनसांग और इ-त्सिंग जैसे यात्रियों ने इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की थी। लेकिन आज भाजपा-जेडीयू की सरकार ने बिहार को युवाओं का भविष्य बेचने वाला केंद्र बना दिया है। भर्ती परीक्षाओं में घोटाले, जर्जर स्कूल भवन, और बेरोजगारी के कारण हो रहा पलायन यही बिहार की नई पहचान बन गई है।”
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दिग्विजय सिंह ने केंद्र सरकार की UDISE+ 2023–24 रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बिहार के सरकारी स्कूलों की हालत पूरे देश में सबसे खराब है। स्कूलों में बिजली, शिक्षक, कंप्यूटर और लाइब्रेरी की भारी कमी है। ड्रॉपआउट रेट देश में सबसे अधिक है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये सब केंद्र और राज्य की मिलीभगत का नतीजा है, जो शिक्षा जैसे बुनियादी अधिकार को भी गंभीरता से नहीं ले रही।
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मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर भी दिग्विजय सिंह ने सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यह कार्य “एक साजिश के तहत जबरन थोपे गए फैसले” जैसा है। उन्होंने ऐलान किया कि कांग्रेस, महागठबंधन के अन्य दलों के साथ मिलकर चुनाव आयोग में इसका विरोध दर्ज कराएगी। साथ ही, जरूरत पड़ने पर न्यायालय का भी दरवाज़ा खटखटाएगी।