भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने शनिवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बिहार में मतदाता सूची से नाम हटाने के मुद्दे पर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य में चल रही एसआईआर (Standardization of Electoral Rolls) प्रक्रिया लोकतंत्र के खिलाफ एक खुली “दिन-दहाड़े लूट” बन चुकी है। दीपंकर ने 19 और 21 जुलाई के चरणों और 8 अगस्त को आए ताज़ा नोट का हवाला देते हुए कहा कि ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं और मतदाता अधिकारों के हनन की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 2024 अगर “चुनिंदा चुनावी चोरी” का साल था, तो बिहार में जो हो रहा है वह लोकतंत्र की खुली डकैती है।
चुनाव आयोग पर सीधा हमला
माले महासचिव ने चुनाव आयोग पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करने का आरोप लगाते हुए कहा, “आयोग ने न सिर्फ दस्तावेज़ों को सार्वजनिक करने से इनकार किया, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की बात भी मानने को तैयार नहीं है। यह अब ‘चुनाव आयोग’ नहीं, ‘चुनौती आयोग’ बन गया है।” उन्होंने कहा कि आयोग अपने एफिडेविट में यहां तक कि माले का नाम भी सही तरीके से नहीं लिख पा रहा है। “न्याय और कानून का तकाज़ा है कि जो 66 लाख वोटर लिस्ट से बाहर कर दिए गए हैं, उन्हें इसकी जानकारी दी जाए। बिना सूचना के नाम काटना मताधिकार की सीधी हत्या है।”
वंचित तबकों को बनाया गया निशाना
दीपंकर भट्टाचार्य ने दावा किया कि जिनके नाम सूची से हटाए गए हैं, उनमें बड़ी संख्या में महिलाएं, अल्पसंख्यक, वंचित समुदाय और INDIA गठबंधन के समर्थक शामिल हैं। “यह एक सोची-समझी रणनीति है, जिसके ज़रिए चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।” उन्होंने सवाल किया कि जिनके नाम हटाए गए, वे फॉर्म-6 क्यों भरें, और जिन इलाकों में शिकायतें उठ रही हैं वहां के बीएलओ (BLO) को क्यों हटाया जा रहा है?
राहुल गांधी पर एफिडेविट मांगना दोहरा मापदंड
दीपंकर ने राहुल गांधी के हालिया आरोपों का समर्थन करते हुए कहा कि जब एक विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख फर्जी वोटर मिलने का दावा किया गया, तो उसकी जांच करने के बजाय चुनाव आयोग उनसे एफिडेविट मांग रहा है। “यह लोकतंत्र के साथ धोखा है।”
देशव्यापी अभियान की घोषणा
उन्होंने कहा कि SIR का मुद्दा अब बिहार तक सीमित नहीं रह गया है। इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाते हुए भाकपा-माले ने 9 से 11 अगस्त तक “वोट चोर, गद्दी छोड़” अभियान शुरू किया है। इस दौरान पूरे देश में गली-मोहल्लों, गांवों और शहरों में प्रतिरोध मार्च निकाले जाएंगे। इसके साथ ही स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त को “आजादी बचाओ, संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ” के नारे के साथ तिरंगा मार्च का आयोजन किया जाएगा। प्रेस वार्ता में माले के राज्य सचिव कुणाल, धीरेंद्र झा, शशि यादव और विधायक गोपाल रविदास भी मौजूद रहे।