नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में कथित गड़बड़ियों के आरोपों को लेकर चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि सभी चुनाव संसद द्वारा पारित कानूनों और नियमों के अनुसार सख्ती से आयोजित किए जाते हैं, और राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें जवाब देने के लिए आमने-सामने की बातचीत का प्रस्ताव दिया है।
राहुल गांधी ने हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची में पांच महीनों में 8% की वृद्धि का आरोप लगाया था, जिसमें कुछ बूथों पर 20-50% तक का उछाल देखा गया। उन्होंने इसे “वोट चोरी” करार देते हुए चुनाव आयोग पर चुप्पी या संलिप्तता का आरोप लगाया था। इस संदर्भ में, आयोग ने 12 जून को राहुल गांधी को पत्र भेजकर उनकी शंकाओं को दूर करने की पेशकश की है, जिसमें उन्हें सुविधानुसार तारीख और समय तय करने को कहा गया है।
चुनाव आयोग ने अपनी रक्षा में कहा कि महाराष्ट्र चुनाव में एक लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (बीएलओ) और राजनीतिक दलों के 1.08 लाख एजेंट शामिल थे, जिसमें कांग्रेस के 28,000 से अधिक एजेंट भी शामिल थे। इसके अलावा, 288 मतदाता पंजीकरण अधिकारी, 139 सामान्य पर्यवेक्षक, 41 पुलिस पर्यवेक्षक और 71 आय-व्यय पर्यवेक्षक भी तैनात थे। आयोग ने दावा किया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से विकेन्द्रीकृत और पारदर्शी थी, और 24 दिसंबर 2024 को राहुल गांधी के आरोपों का विस्तृत लिखित जवाब पहले ही दिया जा चुका है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब चुनाव आयोग ने हाल के दिनों में भाजपा, बसपा, आम आदमी पार्टी, सीपीआई (एम) और एनपीपी जैसे अन्य दलों के साथ भी बैठकें की हैं। इन बैठकों में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, मायावती, अरविंद केजरीवाल और अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया था। राहुल गांधी के लेख के बाद आयोग का यह कदम विपक्षी दलों और चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवालों के बीच महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
आयोग ने राहुल गांधी से कहा कि यदि उनके पास अभी भी कोई मुद्दा बचा है, तो वे इसे उठा सकते हैं, और आयोग उनके साथ व्यक्तिगत रूप से चर्चा के लिए तैयार है। दूसरी ओर, राहुल गांधी ने पहले चुनाव आयोग पर 45 दिनों के बाद सीसीटीवी फुटेज हटाने के निर्देश देने का आरोप लगाया था, जिसे उन्होंने “चुनावी फिक्सिंग” करार दिया था। अब यह देखना होगा कि क्या यह बैठक दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को सुलझा पाती है या चुनावी बहस और तेज होती है।