बिहार में सिपाही भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने बड़ा खुलासा किया है। पिछले साल अक्टूबर में हुए सिपाही भर्ती परीक्षा में प्रश्न पत्र छपने से लेकर पहुंचाने तक कई कमियां पाई गई हैं। इस मामले में भी मुख्य आरोपी नीट पेपर लीक का मास्टर माइंड संजीव मुखिया है। EOU ने बताया है कि मामले में राज्य के विभिन्न जिलों में 74 केस दर्ज किये गये थे। इसके बाद, मामले के जांच का जिम्मा आर्थिक अपराध इकाई को सौंप दिया गया।
जांच में पता चला कि केंद्रीय चयन पर्षद सिपाही भर्ती ने परीक्षा से संबंधित प्रश्न पत्रों की प्रिंटिंग, पैकेजिंग एवं जिला कोषागार में सुरक्षित पहुंचाने का काम कोलकाता स्थित एक कंपनी को सौंपा था। दरअसल यह कंपनी थी ही नहीं। इस कम्पनी का अपना कोई भी प्रिंटिंग प्रेस, वेयर हाउस या लॉजिस्टिक व्यवस्था नहीं है। कम्पनी ने ये सभी कार्य स्वयं न कर दूसरी कंपनी को ऑउटसोर्स कर दिया। कंपनी के मालिक कौशिक को गिरफ्तार कर लिया गया।
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जांच एजेंसी ने ये भी बताया कि प्रश्न पत्र कैसे लीक हुआ था। EOU को पता चला कि प्रश्न पत्रों को ट्रांसपोर्ट करने वाली गाड़ियां जिला कोषागारों में जाने के क्रम में कई जगह रुकते हुए पहुंचीं। प्रश्न पत्र जब पटना पहुँचा तो वेयर हाउस में छह घंटे से ज्यादा रुका रहा। जहां संजीव मुखिया के संगठित पेपर लीक गिरोह के सदस्यों द्वारा कंपनी के कर्मचारियों को पैसों का प्रलोभन देकर मोतिहारी जिला जाने वाली गाड़ी के बक्सों एवं इनवैलप को खोल कर परीक्षा से चार दिन पूर्व ही प्रश्न पत्रों को प्राप्त कर लिया गया। प्रश्न पत्रों की फोटो लेने के बाद, इन पत्रों को हल किया गया एवं अभ्यर्थियों से पैसा लेकर इनकी उत्तर कुंजी उपलब्ध कराई गई । यह उत्तर कुंजी परीक्षा के दिन वायरल हो गई।
बता दें कि सिपाही भर्ती परीक्षा पिछले साल एक अक्टूबर को आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के जरिए 21,391 सिपाही की बहाली होनी थी। परीक्षा में 18 लाख अभ्यर्थियों ने फार्म भरा था। पेपर लीक होने से परीक्षा रद्द कर दी गई।