वृहस्पतिवार को एक बाज जैसलमेर के आसमान में लगातार गोते लगाता दिख रहा था। शाहगढ़ बॉर्डर पर जब BSF वालों ने उसे देखा तो जासूसी के संदेह से उसे पकड़ लिया। उन्होंने पाया कि बाज़ पहले से प्रशिक्षित है और उसके पंजों में GPS रिंग लगा है। जिसपर कुछ नंबर अंकित है। उन्होंने उस रिंग को निकालकर बाज़ को वन विभाग को सौंप दिया। उस GPS रिंग और उसपर अंकित नंबर को अब BSF की टीम जांच रही है। BSF के एक अफसर से बात करने पर उन्होंने बताया कि प्रथम दृश्या ये बॉर्डर के उस पार पाकिस्तान से आया प्रशिक्षित बाज़ मालूम होता है, जिसे क़तर के अमीरों द्वारा छोड़ा गया है। ये प्रशिक्षित बाज़ पाकिस्तान व भारत के आर्द्र प्रदेशों में पाए जाने वाले तिलोर पक्षियों का शिकार कर उन्हें वापिस अपने मालिक को ले जाकर दे देते हैं। दरअसल तिलोर(Houbara Bustard) आईसीयूंएन की लाल सूची में शामिल है और विलुप्त होने के कागार पर है। भारत और पकिस्तान जैसे देशों में भी इसके शिकार पर बैन है। लेकिन चंद पैसों के लिए पकिस्तान क़तर के अमीर और उसके शाही परिवार के अन्य नौ सदस्यों को इसके शिकार की इजाज़त देता है। मालूम हो कि एक तिमोर के बदले शेख पाकिस्तान को एक लाख डॉलर का भुगतान करते हैं।
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