बिहार में नीतीश कुमार ने सीएम बनते ही अनुबंध पर नौकरियों के सिलसिले को जोर-शोर से शुरू किया। आज नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जोड़ी 20 लाख नौकरियां और रोजगार देने का वादा कर रही है, तो इसके पूरा होने में इसमें बड़ी संख्या अनुबंध वाली नौकरियों का हो सकता है। लेकिन पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने तो जैसे Nitish-Tejashwi की जोड़ी को हर मोर्चे पर फंसाने की ठान रखी है। पूर्व सीएम मांझी ने साफ कहा है कि अनुबंध वाली प्रक्रिया अब बिहार में चलने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे निजात दिलाना ही होगा।
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बंधुआ मजदूरी जैसी है अनुबंध की नौकरी
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी का कहना है कि अनुबंध पर बहाल सभी लोगों को सरकार नियमित करे। क्योंकि अनुबंध वाली नौकरी बंधुआ मजदूरी के जैसी ही है। गया में बुधवार को गरीब संपर्क यात्रा के चौथे दिन मांझी ने कहा कि हम इसी की लड़ाई लड़ रहे हैं और इसी के लिए गरीब संपर्क यात्रा कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि काम कम या छोटा नहीं है। मुख्यमंत्री रहते हुए मैंने फैसला किया था कि अनुबंध की नौकरी खत्म होगी। सबका मानदेय सम्मानजनक करेंगे।
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संतोष मांझी भी गरजे, 4 से 40 होने का लिया संकल्प
दूसरी ओर इस यात्रा में शामिल हम (सेक्युलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन ने कहा कि हम अमीरी और गरीबी के बीच की खाई को पाटने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। गरीबों के सपनों को साकार करने का समय आ गया है और इसके लिए हमसब को एकजुट होना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हम आज चार हैं, कल 40 होंगे। उन्होंने कहा कि आप सभी लोगों का साथ मिला तो हम विधानसभा में चार से चालीस सीट तक पहुंचेंगे। हम गरीब अगर एकजुट हो जाएं तो ‘हम’ के बिना कोई सरकार नहीं बना सकता।