नेपाल व उत्तर बिहार के कई हिस्सों में बारिश के कारण राज्य की नदियां उफान पर है. इन दिनों गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा और कमला बलान नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. जानकारी के अनुसार गंडक और कोसी नदी में इस साल सर्वोच्च जलस्तर रिकॉर्ड किया गया है. गंडक में मंगलवार देर शाम रिकॉर्ड 3.15 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ तो कोसी में 2.30 लाख क्यूसेक पानी आया है. इन दोनों ही नदियों में यह इस मानसून सीजन का सबसे अधिक पानी था. गंडक नदी में हर घंटे दो सेंटीमीटर तो वहीं कोसी में हर घंटे एक सेंटीमीटर पानी की वृद्धि हो रही है. वहीं दूसरी ओर नदियों में भारी मात्रा में पानी के आने के बाद कोसी के वीरपुर बराज और गंडक नदी के वाल्मीकिनगर बराज के सारे गेट खोले गए हैं.
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गंडक नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में 160 मिलीमीटर, बागमती के जलग्रहण क्षेत्र में 77 मिमी, कोसी में 80 मिमी बारिश दर्ज की गई है. इसके बाद नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. गंडक नदी गोपालगंज में खतरे के निशान से 28 सेंटीमीटर तो कोसी सुपौल में खतरे के निशान से 1.43 मीटर व खगड़िया में 51 सेंमी ऊपर बह रही है. ठीक इसी तरह बागमती मुजफ्फरपुर के औराई में खतरे के निशान से 1.25 मीटर तो गायघाट में 1 मीटर ऊपर पहुंच चुकी है. वहीं, कमला बलान मधुबनी के जयनगर में 35 सेमी व झंझारपुर में 80 सेंमी ऊपर बह रही है. इनके जलस्तर में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है.
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सीमांचल क्षेत्र में महानंदा खतरे के निशान के ऊपर बह रही है, तो वहीं कनकई व परमान के जलस्तर में भी लगातार वृद्धि हो रही है. कटिहार जिले के आजमनगर प्रखंड के आधा दर्जन गांवों में महानंदा का पानी घुस चुका है. गंडक का पानी वीटीआर के वाल्मीकिनगर व मदनपुर वन क्षेत्र के निचले इलाकों में फैल चुका है. इसकी वजह से जानवर रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे हैं. गंडक के पानी का दबाव बगहा शहर के करीब आधा दर्जन जगहों पर बढ़ गया है. ठकराहा, पिपरासी, मधुबनी, बैरिया और नौतन के निचले व दियारा इलाकों में भी पानी तेजी से फैलने लगा है.






















