गोविंदगंज विधानसभा सीट की बिहार विधानसभा में सीट क्रम संख्या 14 है. यह विधानसभा क्षेत्र पूर्वी चंपारण जिले में पड़ता है और यह पूर्वी चंपारण (लोकसभा) निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा भी है. 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद गोविंदगंज विधानसभा सीट में अरेराज, पहाड़पुर सामुदायिक विकास ब्लॉक, पश्चिम संग्रामपुर, पूर्वी संग्रामपुर और संग्रामपुर सामुदायिक विकास ब्लॉक के दक्खिनी बरियारिया को शामिल किया गया.
राजनीतिक इतिहास
गोविंदगंज विधानसभा सीट को कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था.1952 से लेकर 1967 तक लगातार यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी जीतते रहें। हालांकि, 1980 के बाद इस सीट पर कांग्रेस को कभी जीत नहीं मिला। 1998 के उप-चुनाव समेत अब तक इस सीट पर हुए 18 चुनाव हुए हैं. इनमें सात बार कांग्रेस, तीन बार जेडीयू, दो बार निर्दलीय, एक-एक बार एलजेपी, समता पार्टी, एजीपी, जनता दल और जनसंघ ने जीत दर्ज की है. कांग्रेस को यहां 1980 में आखिरी बार जीत मिली थी. वर्तमान में ये सीट भाजपा के पास हैं और सुनील मणि त्रिपाठी यहां से विधायक हैं. बिहार के पूर्वी चंपारण जिले की गोविंदगंज विधानसभा सीट पर अभी भाजपा का कब्ज़ा हैं, वर्तमान में सुनील मणि त्रिपाठी यहां से विधायक हैं.
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इस सीट पर 2015 के विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने बीजेपी की मदद से विजयी पताका लहराया था. एलजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे राजू तिवारी ने कांग्रेस के बृजेश कुमार को करीब 28 हजार वोटों से मात दी थी. राजू तिवारी 2010 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट से उतरे थे, लेकिन उन्हें जेडीयू की मीना द्विवेदी के हाथों हार झेलनी पड़ी थी.
2015 में जेडीयू से तीन बार विधायक रहीं मीना द्विवेदी को पार्टी ने टिकट नहीं दिया और ये सीट गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस के लिए छोड़ दी. मीना द्विवेदी 2010, 2005 के फरवरी और अक्टूबर में लगातार तीन बार यहां से जीतीं थीं. 1998 के उप चुनाव में मीना द्विवेदी के पति भूपेंद्र नाथ दुबे 1995 में भूपेंद्र के भाई देवेंद्र नाथ दुबे इस सीट से विधायक चुने गए थे.
पिछले चुनाव के नतीजे
2020 के चुनाव में पूर्वी चंपारण जिले के गोविंदगंज विधानसभा सीट पर जीत के अंतर का एक दिलचस्प रिकॉर्ड बना. गोविंदगंज विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के सुनील मणि तिवारी विजयी हुए. उन्होंने लगभग एकतरफा मुकाबले में कांग्रेस के ब्रजेश कुमार को हरा दिया. सुनील मणि तिवारी ने यह मुकाबला 27,924 मतों के अंतर से जीता.
2015 में हुए विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के राजू तिवारी यहां से विधायक बने. इस सीट पर 56.4% मतदान हुआ था. जबकि नोटा के पक्ष में 3,441 लोगों ने वोट किया था. लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में गोविंदगंज सीट पर हार-जीत का अंतर 27,920 का था और इस अंतर के साथ लोक जनशक्ति पार्टी के राजू तिवारी ने जीत हासिल की थी. खास बात यह है कि राजू तिवारी ने तब कांग्रेस के ब्रजेश कुमार को ही 27,920 मतों के अंतर से हराया था.
जातीय समीकरण:
गोविंदगंज विधानसभा सीट पर ब्राह्मण वोटरों का सबसे अधिक प्रभाव है. भूमिहार और मुस्लिम वोटर भी निर्णायक भूमिका में हैं. 2015 में यहां 56.3% वोटिंग हुई थी, जो 2010 से 5% ज्यादा थी. पिछले दो चुनावों से यहां महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले ज्यादा रहा है.
जनसंख्या:
गोविंदगंज विधानसभा में एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 30,550 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 11.42% है। एसटी मतदाताओं की संख्या लगभग 508 है जो लगभग 0.19% है। वही, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 38,789 है जो मतदाता सूची विश्लेषण के अनुसार लगभग 14.5% है। ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 248,731 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 92.98% है। यहां शहरी मतदाताओं की संख्या लगभग 18,779 है जो लगभग 7.02% है।






















