वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2024 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह सकल रूप से 1.96 लाख करोड़ रुपये रहा, जो सालाना 12.3% की वृद्धि दर्शाता है। पिछले वर्ष जनवरी 2024 में कुल संग्रह 1.74 लाख करोड़ रुपये था।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 में CGST, SGST, IGST और उपकर में वार्षिक आधार पर वृद्धि दर्ज की गई। वित्तीय वर्ष 2024-25 (अप्रैल-जनवरी) के दौरान कुल जीएसटी संग्रह 9.4% बढ़कर 18.29 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि 2023-24 की इसी अवधि में यह 16.71 लाख करोड़ रुपये था। अप्रैल 2024 में, कुल जीएसटी संग्रह 2.10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में, कुल सकल जीएसटी संग्रह 20.18 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 11.7% अधिक था। यह आंकड़े भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत देते हैं, जो मजबूत घरेलू खपत और आयात गतिविधि में वृद्धि को दर्शाते हैं। ये आंकड़े देश की वित्तीय सेहत और आर्थिक सुधार प्रयासों के लिए उत्साहजनक हैं, विशेष रूप से वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच।
जीएसटी को 1 जुलाई 2017 से देश में लागू किया गया था और राज्यों को जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के तहत पांच वर्षों तक राजस्व हानि की भरपाई का आश्वासन दिया गया था।
हेयर ऑयल, टूथपेस्ट, साबुन, डिटर्जेंट और वॉशिंग पाउडर, गेहूं, चावल, दही, लस्सी, मट्ठा, घड़ियां, 32 इंच तक के टेलीविजन, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन और मोबाइल फोन जैसे कई प्रमुख उत्पादों पर जीएसटी दरों में उल्लेखनीय रूप से कटौती की गई है या कुछ वस्तुओं पर इसे शून्य रखा गया है, जिससे आम जनता को लाभ हुआ है। समय-समय पर इस सूची की समीक्षा कर जीएसटी परिषद की मंजूरी से संशोधन किया जाता है।
जीएसटी परिषद, जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री अध्यक्ष होते हैं और सभी राज्यों के वित्त मंत्री सदस्य होते हैं, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जीएसटी परिषद की हालिया बैठक 21 दिसंबर को जैसलमेर, राजस्थान में आयोजित की गई थी।