Hajipur Vidhan Sabha election 2025: वैशाली जिले का हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 123) बिहार की राजनीति में हमेशा से एक अहम स्थान रखता आया है। राजधानी पटना के बेहद करीब और उत्तर बिहार का प्रवेश द्वार कहलाने वाला यह इलाका न सिर्फ भौगोलिक दृष्टि से बल्कि राजनीतिक रूप से भी विशेष महत्व रखता है। आजादी के बाद से लेकर पांच दशकों तक यहां समाजवादी विचारधारा से जुड़े उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया, लेकिन सन् 2000 के बाद हाजीपुर की राजनीति ने एक नया मोड़ लिया और भारतीय जनता पार्टी ने लगातार यहां अपना कब्ज़ा बनाए रखा है।
चुनावी इतिहास
सन् 2000 में भाजपा नेता और मौजूदा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस सीट से जीत हासिल कर नई राजनीतिक इबारत लिखी। उन्होंने राजद प्रत्याशी राजेंद्र राय को हराकर भाजपा की जड़ें मजबूत कीं। इसके बाद 2005 (फरवरी व अक्टूबर), 2010 के चुनाव और फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी लगातार सफलता ने भाजपा को यहां एक स्थायी पहचान दिला दी। 2014 में नित्यानंद राय उजियारपुर से सांसद चुने गए, और उसी वर्ष हुए उपचुनाव में अवधेश सिंह ने भाजपा के प्रतिनिधि के रूप में जीत हासिल की। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में भी अवधेश सिंह ने जीत का सिलसिला कायम रखा।
Sonpur Vidhansabha Election 2025: जातीय समीकरण और सियासी समीकरण में कौन होगा हावी?
2020 के चुनाव परिणामों पर गौर करें तो भाजपा प्रत्याशी अवधेश सिंह को 85,552 वोट मिले थे, जबकि आरजेडी के देव कुमार चौरसिया 82,562 वोटों के साथ बेहद करीबी मुकाबले में हार गए थे। यानी मात्र 2,990 वोटों के अंतर ने भाजपा का गढ़ फिर से सुरक्षित कर दिया। इस सीट पर 1995 के बाद से अब तक भाजपा की जीत का सिलसिला जारी है और किसी भी विपक्षी दल को सफलता नहीं मिल सकी है।
जातीय समीकरण
यदि जातीय समीकरण की बात करें तो हाजीपुर विधानसभा सीट पर यादव और राजपूत समुदाय का वर्चस्व देखने को मिलता है। यादव मतदाताओं की हिस्सेदारी लगभग 19 प्रतिशत है जबकि राजपूत समुदाय के वोटर करीब 15 प्रतिशत हैं। इसके साथ ही 21.11 प्रतिशत की संख्या में अनुसूचित जाति (SC) मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 8 प्रतिशत है, जो कई बार चुनावी समीकरण बदलने में अहम साबित हो सकते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां कुल जनसंख्या 4,43,976 है, जिसमें से लगभग 67 प्रतिशत ग्रामीण और 33 प्रतिशत शहरी आबादी है।
हाजीपुर में भाजपा का लगातार मजबूत पकड़ नित्यानंद राय के नेतृत्व और संगठन की रणनीति का परिणाम है। हालांकि, विपक्षी दलों का मानना है कि यहां जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दों के आधार पर आगामी चुनाव में उन्हें बेहतर मौका मिल सकता है। इस सीट पर आरजेडी लगातार कड़ा मुकाबला देती रही है और 2025 का चुनाव भी भाजपा बनाम आरजेडी की जंग ही माना जा रहा है।
हाजीपुर विधानसभा का इतिहास यह दर्शाता है कि मतदाता यहां बदलाव के लिए तैयार तो होते हैं, लेकिन पिछले दो दशकों से भाजपा ने अपनी पकड़ इतनी मज़बूत कर ली है कि विपक्ष के लिए समीकरण साधना कठिन हो रहा है। अब देखना होगा कि 2025 में क्या हाजीपुर एक बार फिर भाजपा की झोली में जाता है या मतदाता कोई नया जनादेश देने का फैसला करते हैं।






















