सरकार के द्वारा बड़े-बड़े विकास के वादे किए जाते हैं, लेकिन विकास कितनी धरातल पर उतरती है, यह हम किसी से छुपा हुआ नहीं है। दरअसल जिस जगह कि आज हम बात करने जा रहे हैं, वहां आजादी के 70 साल के बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। आज भी बीमार लोगों के इलाज के लिए एंबुलेंस की जगह जुगाड़ एंबुलेंस का प्रयोग कर स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया जाता हैं। हम बात कर रहे हैं हजारीबाग जिले के बरकट्ठा प्रखंड के गोरहर पंचायत के ज्वार पहाड़पुर का है, जहां 21वीं सदी बीतने के बाद भी लोगों को रोड़ का नसीब अब तक नहीं हुआ है।
यह अत्यंत पिछड़ा हुआ आदिवासी बहुल क्षेत्र है
बीते रात पहाड़पुर टोला, कुशन में महेश टूडू पिता छोटन टुडू के बहू का प्रसव पीड़ा से व्याकुल हो गई। ग्रामीणों ने उन्हें आनन-फानन में खटोली का डोली बनाकर चार आदमी कंधे पर लेकर जंगल झाड़ के रास्ते होते हुए शिलाडीह उप स्वास्थ्य केंद्र में लाया। जहां एक स्वास्थ्य बच्चे का जन्म दिया। पहाड़पुर के स्थानीय निवासी मणिलाल ने बताया कि गोरहर पंचायत के ज्वार पहाड़पुर एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है और यह अत्यंत पिछड़ा हुआ क्षेत्र है। यहां लगभग 300 घर है। जहां के लोग सरकारी सुविधा से वंचित हैं। यहां एंबुलेंस आने जाने कि रास्ता नहीं है।
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खाट पर लादकर पहुंचाया जाता है हॉस्पिटल
यदि लोग बीमार पड़ जाते हैं तो इसी तरह खाट पर लादकर उसे हॉस्पिटल पहुंचाया जाता है। जिसके कारण कई बार मरीज की रास्ते में ही मृत्यु हो जाती है। साथ ही मणिलाल ने कहा यहां पर जनप्रतिनिधि और स्वास्थ्य कर्मी भी आने जाने से कतराते हैं। पहाड़पुर के ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण के लिए कई बार सांसद, विधायक व स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी दी गई पर सुनने वाला कोई नहीं है। अब ग्रामीणों का कोन बनेगा मसीहा? क्या सड़क की निर्माण हो पाएगी। इन सभी सवालों का इंतजार रहेगा।