RANCHI : रिम्स में लगभग ठप हो चुकी जांच की व्यवस्था में अब सुधार की उम्मीद जग गई है। स्वास्थ्य विभाग ने रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को मुफ्त जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 300 करोड़ (तीन अरब) रुपए आवंटित किया है। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने सहायता अनुदान की राशि का आवंटन आदेश जारी कर दिया है।
अपर मुख्य सचिव ने भेजा पत्र
इस बाबत रिम्स निदेशक को भेजे पत्र में उन्होंने कहा है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य स्कीम अंतर्गत रिम्स के विकास कार्य तथा मुख्यमंत्री निःशुल्क डायग्नोस्टिक एवं रेडियोलॉजी जांच योजना, मुख्यमंत्री निःशुल्क सर्वाइकल कैंसर एवं ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग योजना के लिए सहायता अनुदान के रूप में तीन अरब की राशि आवंटित की जाती है। इस राशि में मुख्यमंत्री निःशुल्क डायग्नोस्टिक एवं रेडियोलॉजी जांच योजना, मुख्यमंत्री निःशुल्क सर्वाइकल कैंसर एवं ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग योजना के तहत पीपीपी मोड पर कार्यरत एजेंसियों के विपत्रों के भुगतान की राशि शामिल है।
रेडियोलॉजी लैब का 3.37 करोड़ बकाया
रेडियोलॉजी जांच की स्थिति यह है कि रिम्स की एमआरआई मशीन काफी दिनों से खराब है। यह अक्सर खराब ही रहती है। वहीं मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए कई दिनों बाद का नंबर मिलता है। इस असुविधा को दूर करने के लिए रिम्स में पीपीपी मोड पर हेल्थ मैप के द्वारा रेडियोलॉजी लैब संचालित है। लेकिन लैब का बिल 3.37 करोड़ बकाया है। हद तो यह है कि कोविड के समय जब रिम्स के साथ-साथ निजी जांच घरों में आसानी से एमआरआई और सीटी स्कैन नहीं हो रहा था, हेल्थ मैप द्वारा मरीजों को जांच की सुविधा उपलब्ध करायी गई। लेकिन रिम्स प्रबंधन द्वारा उसका भी भुगतान नहीं किया गया है।
भुगतान नहीं करने के कारण लगभग डेढ़ साल से रिम्स के मरीजों की मुफ्त रेडियोलॉजी जांच बंद कर दी गई है। परिणाम है कि जो एमआरआई जांच रिम्स में 2200 में होती थी, बाहर मरीजों को 6000 रुपए खर्च करने पड़ रहे है। 1035 रुपए में होने वाला सीटी स्कैन बाहर 3000 में कराना पड़ रहा है।