दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में आज (30 जनवरी) को लैंड फॉर जॉब मामले की सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने दो अधिकारियों पर केस चलाने की मंजूरी दे दी है। इनमें से एक पूर्व IAS अधिकारी आरके महाजन भी शामिल हैं, जो लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते रेलवे बोर्ड में थे। सुनवाई के दौरान स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर डीपी सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट से जुड़े, जबकि एडवोकेट मनु मिश्रा फिजिकली कोर्ट में उपस्थित थे। अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी 2025 को होगी।
इससे पहले, 16 जनवरी को हुई सुनवाई को टलने के बाद कोर्ट ने एक रेलवे अधिकारी पर केस चलाने की अनुमति नहीं दी थी। साथ ही, 23 दिसंबर को भी केस चलाने की अनुमति नहीं मिलने के कारण सुनवाई टल गई थी। लैंड फॉर जॉब मामले में कुल पांच सदस्य लालू परिवार के आरोपी हैं, जिनमें लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, मीसा भारती और हेमा यादव शामिल हैं।
7 अक्टूबर 2024 को कोर्ट ने लैंड फॉर जॉब मामले में सभी 9 आरोपियों को जमानत दे दी थी। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सभी आरोपियों को 1-1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर बेल दी थी और सभी को पासपोर्ट सरेंडर करने का निर्देश दिया था।
जनवरी 2024 में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव से पूछताछ की थी। 20 जनवरी को लालू से 50 से अधिक सवाल पूछे गए, जिनके जवाब उन्होंने ज्यादातर हां या ना में दिए। तेजस्वी यादव से भी 30 जनवरी को करीब 10-11 घंटे तक पूछताछ की गई।
लैंड फॉर जॉब डील की पूरी कहानी
लैंड फॉर जॉब मामले में सीबीआई की जांच से खुलासा हुआ है कि लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों ने रेलवे में नौकरी देने के बदले भूमि का लेन-देन किया।
- 2008 में पटना के किशुन देव राय ने अपनी जमीन राबड़ी देवी को मात्र 3.75 लाख रुपये में बेची, जिसके बदले परिवार के तीन सदस्य रेलवे में नौकरी पा गए।
- इसी तरह, पटना के महुआबाग निवासी संजय राय ने भी राबड़ी देवी को 3.75 लाख रुपये में जमीन दी, जिसके बदले तीन परिवार के सदस्य रेलवे में नौकरी पर लगाए गए।
- 2007 में, मीसा भारती को जमीन देने के बदले एक अन्य परिवार के सदस्य को रेलवे में नौकरी मिली।
सीबीआई ने यह भी पाया कि 2014 में एके इंफोसिस्टम्स कंपनी की सारी संपत्ति और अधिकार लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती को हस्तांतरित कर दिए गए थे।