सात फेरों और अन्य रीतियों के बिना हिंदू विवाह वैध नहीं मानी जाएगी। यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए सुनाया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने वाराणसी की स्मृति सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हिंदू विवाह की वैधता को स्थापित करने के लिए सप्तपदी एक अनिवार्य तत्व है। हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा सात को आधार बनाया, जिसके मुताबिक, एक हिंदू विवाह पूरे रीति रिवाज से होना चाहिए। जिसमें सप्तपदी पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर दूल्हा और दुल्हन द्वारा अग्नि के 7 फेरे लेना उस विवाह को पूर्ण बनाता है।
जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने की टिप्पणी
बता दें कि 2017 में स्मृति सिंह और सत्यम सिंह की शादी हुई थी, लेकिन दोनों साथ नहीं रह पाए। स्मृति मायके में रहने लगी। पति और ससुरालियों के खिलाफ उसने दहेज उत्पीड़न का केस कराया। स्मृति ने भरण पोषण के लिए याचिका लगाई। मिर्जापुर फैमिली कोर्ट ने 11 जनवरी 2021 को सत्यम सिंह को हर महीने 4 हजार स्मृति को देने का आदेश सुनाया। फैसले के अनुसार, यह पैसा स्मृति को तब तक दिया जाना था, जब तक वह दूसरी शादी नहीं कर लेती। सत्यम ने स्मृति पर तलाक लिए बिना दूसरी शादी करने का आरोप लगाया। साथ ही वाराणसी जिला अदालत में परिवाद दाखिल किया। 20 सितंबर 2021 को निचली अदालत ने 21 अप्रैल 2022 को स्मृति सिंह को समन जारी करके पेश होने का आदेश दिया। आदेश के खिलाफ स्मृति ने हाईकोर्ट का रूख किया और जज ने स्मृति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विशेष टिप्पणी की।