भारतीय सिनेमा के लिए एक और ऐतिहासिक क्षण तब सामने आया जब नीरज घेवान के निर्देशन में बनी फिल्म ‘होमबाउंड’ को 98वें ऑस्कर अवॉर्ड (Homebound Oscar Shortlist) में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी के लिए शॉर्टलिस्ट कर लिया गया। यह उपलब्धि केवल एक फिल्म की सफलता नहीं है, बल्कि उस संवेदनशील और यथार्थवादी सिनेमा की जीत है, जिसे नीरज घेवान लगातार अपनी कहानियों के जरिए दुनिया के सामने रखते आए हैं। एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज ने बीते मंगलवार को 12 प्रमुख कैटेगरी की शॉर्टलिस्ट जारी की, जिसमें इंटरनेशनल फीचर फिल्म भी शामिल रही और इसी सूची में ‘होमबाउंड’ का नाम देखकर भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में खुशी की लहर दौड़ गई।
‘होमबाउंड’ का ऑस्कर की इस प्रतिष्ठित दौड़ में पहुंचना इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि यह फिल्म वैश्विक स्तर पर 14 अन्य दमदार फिल्मों के साथ मुकाबला कर रही है। दुनिया के अलग-अलग देशों से आई फिल्मों के बीच भारतीय कहानी का अपनी जगह बनाना यह साबित करता है कि कंटेंट के स्तर पर भारतीय सिनेमा अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से खड़ा है। फिल्म के निर्माता करण जौहर ने इस उपलब्धि पर खुलकर खुशी जाहिर की और सोशल मीडिया पर भावुक शब्दों में इसे अपने करियर का सपना पूरा होने जैसा बताया। उन्होंने नीरज घेवान और पूरी टीम को बधाई देते हुए लिखा कि ‘होमबाउंड’ का चयन होना उनके लिए गर्व का क्षण है।
ऑस्कर 2026 की इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी के लिए शॉर्टलिस्ट की गई 15 फिल्मों को अब अगले दौर की वोटिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा। इस चरण को ऑस्कर की सबसे कठिन प्रक्रियाओं में से एक माना जाता है, क्योंकि वोटिंग करने वाले सदस्यों के लिए यह अनिवार्य है कि वे सभी चयनित फिल्मों को देखें, उसके बाद ही अपना वोट दें। ऐसे में ‘होमबाउंड’ का यहां तक पहुंचना ही फिल्म की गुणवत्ता, निर्देशन और कहानी कहने की ताकत को दर्शाता है।
इस कैटेगरी में अर्जेंटीना, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, इराक, जापान, जॉर्डन, नॉर्वे, फिलिस्तीन, साउथ कोरिया, स्पेन, स्विट्जरलैंड, ताइवान और ट्यूनीशिया जैसे देशों की फिल्में भी शामिल हैं, जो अपने-अपने सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों के लिए जानी जाती हैं। ऐसे मजबूत वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के बीच ‘होमबाउंड’ का नाम होना भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ा संकेत है कि अब हमारी कहानियां सीमाओं से परे जाकर असर छोड़ रही हैं।
















