किशनगंज रविवार को किशनगंज के लहरा चौक मैदान में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ विशाल जनसभा हुई। इसका आयोजन वक्फ प्रोटेक्शन मूवमेंट के नेतृत्व में किया गया। सभा में राजद, एमआईएम और कांग्रेस के विधायक के अलावे मौलाना आदि इस सभा में शामिल हुए. राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा और ज्जनता दल यु से इस्तीफा देने वाले पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम भी इस रैली में शामिल हुए. हजारों की संख्या में आम लोग भी पहुंचे। सभी ने वक्फ कानून में संशोधन का विरोध किया।
सभा में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीअत उलेमा-ए-हिंद किशनगंज, जिला जमीयत अहले हदीस किशनगंज, इमारत शरीया बिहार, ओडिशा और झारखंड, मजलिस-ए-अहरार-ए-इस्लाम बिहार, मजलिस-ए-उलमा-ए-मिल्लत किशनगंज, इदारा शरीया किशनगंज, जमीयत अहले सुन्नत वल जमात, शिया जमात किशनगंज, अमन इंसानियत फाउंडेशन और ऑल इंडिया तंजीमुल उलमा किशनगंज के नेता और उलेमा शामिल हुए।

सभी ने कानून को वापस लेने की मांग की। सभा में चार प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए। इनमें वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को तुरंत वापस लेने, वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता बनाए रखने, मुस्लिम पर्सनल लॉ में सरकारी हस्तक्षेप से बचने और मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक व धार्मिक अधिकारों की सुरक्षा की मांग की गई।
मंच से संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि वक्फ संपत्तियां इस्लामी शरीयत का हिस्सा हैं। इनमें सरकारी दखल संविधान और धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह मुसलमानों की आस्था पर सीधा हमला है। वहीं राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि जब बंटवारा हुआ तब इस देश के मुसलमानों ने इस मिट्टी को नहीं छोड़ा। इस कानून को बनाकर ये लोग अपने दोस्त को फायदा पहुंचाना चाहते हैं। यतीम खाने की जमीन पर बने घर को अपने दोस्त को कानून से बचाना चाहते हैं।
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मुस्लिम नेता ने मंच पर कहा कि ये अनपढ़ प्रधानमंत्री और तड़ीपार अमित शाह यदि काला कानून लायेंगे तो हम नहीं मानेंगे। क्योंकि इस देश का नागरिक नहीं, किरायेदार नहीं हम हकदार है। शायद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इतिहास मालूम नहीं है। 65 हजार मुसलमानों ने जान गंवाकर इस देश को आजाद किया।
वक्फ प्रोटेक्शन मूवमेंट के पदाधिकारियों ने कहा कि यह आंदोलन की शुरुआत है। सरकार ने कानून वापस नहीं लिया तो देशभर में आंदोलन होगा। उन्होंने मुसलमानों से एकजुट होने की अपील की। इस मौके पर राज्यसभा सांसद मनोज झा, इजहारुल हुसैन, इंद्रदेव पासवान, अंजार नईमी, इजहार अस्फी, मास्टर मुजाहिद आलम, नासिर नदीगर, इम्तियाज , गुलाम हसनैन, अख्तरुल ईमान, फैयाज आलम, इशहाक आलम, शम्सुहजमा, प्रदीप रविदास, नसीम, दारा और तौसीफ आलम मौजूद रहे।