भारत की सैन्य खुफिया और सटीक रणनीति का प्रतीक बना ‘ऑपरेशन सिंदूर’, जिसके तहत पहली बार पाकिस्तान के भीतर, बहावलपुर जैसे हाई-सिक्योरिटी शहर पर सीधा और स्पष्ट हमला किया गया। यह हमला सिर्फ बदला नहीं था, बल्कि एक रणनीतिक संदेश था – आतंकवाद को अब कोई सुरक्षित पनाह नहीं मिलेगी।
क्यों बना बहावलपुर ऑपरेशन सिंदूर का केंद्र?
बहावलपुर सिर्फ पाकिस्तान का 12वां सबसे बड़ा शहर नहीं है, बल्कि यह जैश-ए-मोहम्मद का जन्मस्थान और मुख्य ऑपरेशन हब भी है। यहां स्थित जामिया मस्जिद सुब्हान अल्लाह परिसर जिसे उस्मान-ओ-अली कैंपस के नाम से जाना जाता है, एक आतंकी प्रशिक्षण केंद्र में तब्दील हो चुका था।
18 एकड़ में फैले इस परिसर में मदरसा, मस्जिद, स्विमिंग पूल, अस्तबल और यहां तक कि आधुनिक जिम तक हैं – ये सारी सुविधाएं अल-रहमत ट्रस्ट द्वारा संचालित हैं, जो जैश का फ्रंटल संगठन माना जाता है।
मसूद अजहर और बहावलपुर का रिश्ता
मौलाना मसूद अजहर, 1968 में यहीं बहावलपुर में पैदा हुआ था। 1999 में इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट IC-814 के अपहरण के बाद उसकी रिहाई हुई और इसके बाद उसने जैश की स्थापना की। अफगानिस्तान में ओसामा बिन लादेन से आशीर्वाद लेकर उसने भारत के खिलाफ कई बड़े आतंकी हमले करवाए।
जैश और लश्कर: भारत पर हमलों का लंबा इतिहास
- 2001 संसद हमला
- 2001 जम्मू-कश्मीर विधानसभा हमला
- 2016 पठानकोट एयरबेस हमला
- 2016 उरी हमला
- 2019 पुलवामा हमला
इन सभी में जैश और लश्कर का नाम सामने आया, और इन दोनों को पाकिस्तान की ISI का संरक्षण मिला।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की बदली हुई सैन्य नीति
इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना, थलसेना और खुफिया एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई में पाकिस्तान और PoK के 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इनमें से चार पाकिस्तान में थे – बहावलपुर, मुरिदके, सियालकोट और कोटली।
बहावलपुर पर हमला यह दर्शाता है कि अब भारत सिर्फ सीमा पार आतंकी शिविरों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पाकिस्तान के भीतर स्थित रणनीतिक ठिकानों पर भी सटीक वार करेगा।
पाकिस्तान की बौखलाहट और भारत की तैयारी
भारत के हमले के बाद पाकिस्तान ने LoC पर गोलीबारी शुरू की जिसमें 3 नागरिक मारे गए। मगर भारत ने साफ किया है – अब आतंकवाद को सिर्फ जवाब नहीं मिलेगा, बल्कि जड़ से खत्म करने की नीति पर काम होगा।