रांची: इस बार झारखंड चुनाव का अलग ही कलेवर नजर आ रहा है। सियासी बिसात बिछ चुकी है मोहरें भी तैयार हैं। बस शह और मात का खेल शेष है। जी हां, झारखंड चुनाव की घोषणा भले ही 15 अक्टूबर हो हुई हो पर इसकी तैयारी सालों पहले से हो रही थी। मौनसून सत्र में विपक्ष का हंगामा और निलंबन हम सबने देखा। युवा आक्रोश मोर्चा का जूनून भी रांची ने देखा। इसके अलावा सत्ता पक्ष से असंतुष्ट नेताओं का पलायन भी प्रदेश ने देखा यह सब देखकर कहा जा सकता है कि झारखंड में चुनाव के लिए दोनों दल अपनी अपनी तैयारियों में लगे थे। भाजपा इसबार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। बीजेपी झारखंड के 81 सीट में से कोल्हान की 14 और संथाल की 18 सीटों पर कोई खास अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी थी। और इन्ही सीटों ने बीजेपी को बाहर का रास्ता भी दिखाया था।
ये सीटे कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा अपने सभी कार्यक्रम अपने भाषण और राजनीतिक मुद्दे में इन दोनो स्थानों का नाम प्रमुखता से जोड़ती रही है। जेएमएम के चम्पई सोरेन जिन्हे कोल्हान टाईगर कहा जाता है उन्को भाजपा ने खुले बाहों से स्वीकार किया। लोबिन हेमब्रम मधुकोड़ा ये वो नाम है तो कोल्हान और संथाल में ईडिया गठबंधन का खेल बिगाड़ सकते है। बता दें संथाल परगना में भाजपा आदिवासी जनसंख्या में कमी, घुसपैठ, लव जिहाद, धर्मपरिवर्तन जैसे ज्वलंत मुद्दो को लेकर जनता के बीच जा रही है।
वहीं इंडिया गठबंधन की हेमंत सरकार चुनाव से तीन महिने पहले तरह तरह की योजनाओं धनराशि के साथ अपने वोटरों को पकड़ कर रखना चाहती है। इस बार चुनाव की सबसे अहम बात है कि दोनो ही पार्टियां आधी आबादी को फुसलाने की कोशिश में हैं। हेमंत की मईयां योजना और बीजेपी की गोगो दीदी योजना ने झारखंड की मईयां और दीदीयों को कन्फ्यूज कर रखा है। परंतु बात इतने से नहीं बनेगी झारखंड का ताज किसके सिर पर सजेगा इसका निर्णय राज्य के पांच प्रमंडलों में दो संथाल और कोल्हान की सीट तय करेगी। मालूम हो कि कोल्हान की 14 और संथाल की 18 विधानसभा सीटों पर बढ़त किसी भी राजनीतिक दल के लिए बेहद अहम रही है।
यही वजह है कि एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच ऑपरेशन कोल्हान और संथाल को लेकर जबरदस्त सियासी घमासान देखा जा रहा है। बता दें इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव कई मुद्दों पर लड़ा जा रहा है। इसमें एनडीए ने संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ, डेमोग्राफी में बदलाव, घटती आदिवासी आबादी को मुद्दा बनाकर प्रदेश में भूचाल ला दिया है। इस उथल-पुथल के बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने भी जांच के आदेश दिए। वहीं इन्ही मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दिनों जमशेदपुर, हजारीबाग की राजनीतिक सभा से झामुमो, राजद और कांग्रेस की घेराबंदी कर चुके हैं। इधर असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा रोहिंग्या घुसपैठ के मुद्दे पर हेमंत सरकार पर खासे हमलावर हैं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि चुनाव में भाजपा की जीत होगी, इसके बाद झारखंड में एनआरसी लागू करेंगे।
इसके अलावा परिवर्तन रैली के दौरान गृह मंत्री अमित शाह के साथ साथ भाजपा के कई दिग्गज संथाल व झारखंड से इन मुद्दों पर हुंकार भर चुके हैं। वहीं संथाल और कोल्हान में अपनी पकड़ को हिलता देख झामुमो और कांग्रेस भी आक्रामक है। सत्तासीन झामुमो और कांग्रेस ने घुसपैठ के मसले पर गृह मंत्रालय को कटघरे में खड़ा किया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गोड्डा, रामगढ़ सहित विभिन्न जनसभाओं में भाजपा पर संथाल को तोड़ने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। सीएम ने अपने दौरे के दौरान लोगों का आह्वान किया है कि भाजपा नेताओं को अपने गांव में घुसने न दें। इंडिया गठबंधन भाजपा पर धर्म, जाति के नाम पर साम्प्रदायिकता का जहर समाज में घोलने का आरोप लगा रहा है