कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अब 2024 में पीएम पद के उम्मीदवार हो सकते हैं। कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद यह कयासबाजी चरम पर है। लेकिन ये यूं ही नहीं है। बल्कि इसके पीछे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का एक पुराना बयान है, जो उन्होंने अपने पार्टी अध्यक्ष चुनाव प्रक्रिया के दौरान भोपाल में दिया था। तब मल्लिकार्जुन खड़गे ने मीडिया द्वारा पीएम बनने के चांस वाले सवाल पर जवाब देते हुए कहा था कि “बकरीद में बचेंगे तो मोहर्रम में नाचेंगे”। मल्लिकार्जुन खड़गे का यह बयान अब मौजूं इसलिए लग रहा है क्योंकि उन्होंने न सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव जीता, बल्कि कर्नाटक जैसे राज्य में उन्होंने अपने पार्टी की सरकार बनवा दी। अब भाजपा की ओर से तो कैप्टन नरेंद्र मोदी हैं लेकिन उनके खिलाफ विपक्ष का उम्मीदवार अब तक घोषित नहीं है। कर्नाटक के चुनाव के नतीजों के बाद अब विपक्ष के उम्मीदवार के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सामने आ रहा है। इस बात की चर्चा पहले दबे स्वर में हो रही थी, अब खुल कर इस पर बातें कही जाने लगीं हैं।
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मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम पर क्यों हो रही चर्चा?
- लड़कर जीतने वाले नेता : पीएम उम्मीदवार के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम की चर्चा का सबसे बड़ा कारण है कांग्रेस का कर्नाटक में परफॉर्मेंस। कर्नाटक खड़गे का गृह राज्य है। वहां से उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। भाजपा के आक्रामक प्रचार, नरेंद्र मोदी की लोकप्रिय चुनावी शैली के सामने खड़गे कभी कमजोर नहीं पड़े। पीएम मोदी ने कांग्रेस पर जितने हमले किए, खड़गे ने हर हमले का जवाब दिया। पीएम मोदी ने बजरंग दल की तुलना बजरंग बली से की, तो खड़गे ने कहा- तोड़ भ्रष्टाचार की नली, जय जय बजरंगबली। कुलमिलाकर खड़गे भाजपा के सामने आक्रामक रहे, जो उनकी लीडरशिप को पुख्ता करती है।
- राहुल गांधी का डिस्क्वालिफिकेशन : कांग्रेस में जब भी पीएम पद के उम्मीदवार की बात आती है तो चेहरा राहुल गांधी का सामने आता है। लेकिन मौजूदा स्थिति में राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता छिन चुकी है। सजायफ्ता राहुल गांधी मौजूदा नियमों के अनुसार अभी के हालात में अगला चुनाव लड़ भी नहीं सकते। यही परिस्थिति आगे भी रहती है तो राहुल गांधी के बाद दूसरे नाम पर बात आएगी तो मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम स्वत: आगे होगा, क्योंकि कांग्रेस के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष वही हैं।
- दलित चेहरे से सधेंगे समीकरण : देश की राजनीति में जाति का तड़का तो पहले से मौजूद है। मल्लिकार्जुन खड़गे की पीएम पद के लिए उम्मीदवारी इस तड़के को और चटकदार बना सकती है। मल्लिकार्जुन खड़गे दलित समुदाय से आते हैं। ऐसे में जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश में खड़गे किसी दूसरे उम्मीदवार से अधिक प्रभावी साबित हो सकते हैं। उनका विरोध करना आसान नहीं होगा।
- दूसरे दलों में अधिक स्वीकार्यता : वैसे तो देश में पीएम नरेंद्र मोदी के सामने नया चेहरा लाने की कवायद क्षेत्रीय दल भी कर रहे हैं। इसकी अगुवाई बिहार के सीएम नीतीश कुमार कर रहे हैं। लेकिन अभी तक कोई नाम सामने नहीं आया है। नीतीश कुमार खुद को इससे अलग बताते हैं। ममता बनर्जी, शरद पवार, केसीआर, अखिलेश यादव जैसे नेताओं ने भी अपनी मंशा अब तक जाहिर नहीं की है। ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम अगर आगे किया गया तो संभव है कि बात बन जाए। क्योंकि गांधी परिवार के किसी सदस्य से अधिक मल्लिकार्जुन खड़गे की स्वीकार्यता हो सकती है।
- अंतर्कलह नहीं बनेगी रुकावट : कांग्रेस के लिए अभी भाजपा जितनी बड़ी समस्या है, उससे कम उनके नेताओं का अंतर्कलह नहीं है। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ का अलगाव से लेकर राजस्थान में चल रहा पायलट-गहलोत का टकराव कांग्रेस के लिए बड़ा सिरदर्द है। यह समस्या कर्नाटक में भी थी। लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे ने डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच सबकुछ ठीक कराकर कांग्रेस को सत्ता में ला दिया। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि अगर कांग्रेस से मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे होता है तो अंतर्कलह उनके नाम में रुकावट नहीं बनेगी।