Ishan Kishan Comeback: भारतीय क्रिकेट में वापसी की कहानियां हमेशा खास होती हैं, लेकिन ईशान किशन की मौजूदा कहानी सिर्फ कमबैक नहीं बल्कि सिस्टम को चुनौती देने वाली दस्तक भी बनती जा रही है। 2016 अंडर-19 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की कप्तानी करने वाले इस विकेटकीपर-बल्लेबाज ने जब आईपीएल में कदम रखा था, तभी से उन्हें भविष्य का बड़ा सितारा माना जाने लगा। इसके बाद वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाकर उन्होंने अपनी प्रतिभा पर मुहर भी लगा दी, लेकिन क्रिकेट का सफर हमेशा सीधा नहीं होता।
पिछले दो से तीन साल ईशान किशन के करियर के सबसे कठिन दौर रहे। अनुशासनहीनता के आरोप, घरेलू क्रिकेट को प्राथमिकता न देने की बातें, लगातार चोटों की समस्या और अंततः बीसीसीआई का सख्त रुख, जिसने उन्हें सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से बाहर कर दिया। इन घटनाओं ने न सिर्फ उन्हें भारतीय टीम से दूर किया, बल्कि चयन की चर्चाओं से भी लगभग गायब कर दिया। ऐसा लगने लगा था कि यह प्रतिभा कहीं रास्ता भटक गई है।
हालांकि पिछले एक साल में ईशान किशन ने चुपचाप अपनी वापसी की जमीन तैयार की। घरेलू क्रिकेट से लेकर आईपीएल तक उन्होंने लगातार खेला। प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन इतना विस्फोटक नहीं कि चयनकर्ता तुरंत उन्हें टीम इंडिया में वापस बुलाने का मन बना लें। फिर आया सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी, जिसने इस कहानी की दिशा ही बदल दी।
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इस टूर्नामेंट में ईशान किशन सिर्फ बल्लेबाज नहीं, बल्कि एक परिपक्व कप्तान के रूप में भी नजर आए। झारखंड टीम की कमान संभालते हुए उन्होंने लीग राउंड में टीम को अजेय रखा और ग्रुप स्टेज में लगातार जीत दर्ज कर क्वालीफिकेशन पक्का कराया। उनकी कप्तानी में झारखंड ने लगातार नौ मुकाबले जीते और फाइनल तक का सफर तय किया। यह सफर सिर्फ टीम की जीत का नहीं, बल्कि ईशान की खोई हुई साख की वापसी का भी था।
फाइनल मुकाबला हरियाणा और झारखंड के बीच खेला गया और यहां ईशान किशन ने वह कर दिखाया, जिसकी चर्चा लंबे समय तक होगी। झारखंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 262 रन बना दिए, जो किसी भी टी20 फाइनल का अब तक का सर्वोच्च स्कोर है और एक विश्व रिकॉर्ड भी। इस ऐतिहासिक पारी के केंद्र में ईशान किशन थे, जिन्होंने 49 गेंदों में 101 रन ठोक दिए। यह इस सीरीज में उनका दूसरा शतक था।
पूरे टूर्नामेंट में उन्होंने 10 मैचों में 517 रन बनाए और 33 छक्कों के साथ सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बने। फाइनल के शतक में भी 10 छक्के शामिल थे, जिसने उनकी हार्ड हिटिंग क्षमता को एक बार फिर साबित कर दिया। खास बात यह रही कि ईशान किशन ने इस टूर्नामेंट में ऊपरी क्रम के साथ-साथ मध्यक्रम में भी बल्लेबाजी की, जो टी20 क्रिकेट में उनकी बहुमुखी उपयोगिता को दर्शाता है।
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जब मौजूदा भारतीय टी20 टीम संयोजन पर नजर डालें तो यह प्रदर्शन और भी अहम हो जाता है। संजू सैमसन की लगातार अनदेखी और जितेश शर्मा को सीमित मौके मिलना, साथ ही उनका औसत घरेलू रिकॉर्ड, ऐसे में ईशान किशन का नाम एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरता है। टी20 वर्ल्ड कप जैसे बड़े मंच के लिए चयनकर्ता ऐसे खिलाड़ी की तलाश में रहते हैं, जो किसी भी नंबर पर आकर मैच का रुख पलट सके और ईशान किशन की मौजूदा फॉर्म इसी जरूरत पर खरा उतरती दिख रही है।
क्रिकेट में फॉर्म अस्थायी होती है, लेकिन आत्मविश्वास और लय जब एक साथ आ जाए तो बड़े दरवाजे खुद-ब-खुद खुलने लगते हैं। सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में ईशान किशन ने न सिर्फ रन बनाए, बल्कि यह संदेश भी दिया कि वह अब सिर्फ संभावनाओं का खिलाड़ी नहीं, बल्कि जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार मैच विनर हैं। इस फॉर्म के साथ अगर उनकी वापसी टीम इंडिया में होती है, तो यह भारतीय क्रिकेट के लिए एक और मजबूत विकल्प का जुड़ना होगा।
हेसामुद्दीन अंसारी
















