भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए 100वें रॉकेट का सफल प्रक्षेपण किया। इस मिशन के तहत ISRO ने स्वदेशी नेविगेशन सैटेलाइट NaVIC को अंतरिक्ष में स्थापित किया। यह भारतीय वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है।
पठानी सामंत प्लेनेटेरियम के उप निदेशक डॉ. शुभेंदु पटनायक ने मीडिया से बात करते हुए इसे “सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण” बताया। उन्होंने कहा कि ISRO ने 46 वर्षों में 100 रॉकेट लॉन्च किए हैं। ISRO ने 1969 में अपनी यात्रा शुरू की थी और 1980 में पहले उपग्रह रोहिणी को लॉन्च किया था। इस लॉन्च के साथ, ISRO ने NaVIC (Navigation with Indian Constellation) नामक उपग्रह को भेजा है। यह सिस्टम भारत के लिए विदेशी GPS पर निर्भरता को खत्म करेगा और स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली प्रदान करेगा। डॉ. पटनायक ने बताया कि “NaVIC राष्ट्रीय सुरक्षा और संवेदनशील डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, विशेष रूप से रक्षा और अन्य क्षेत्रों में।”
डॉ. पटनायक ने बताया कि NaVIC की आवश्यकता कारगिल युद्ध के दौरान स्पष्ट हुई थी। उस समय भारत को विदेशी GPS सिस्टम पर निर्भर रहना पड़ा, जिससे परिचालन संबंधी चुनौतियां सामने आईं। अब NaVIC भारतीय उपमहाद्वीप और 1500 किलोमीटर की सीमा से परे तक अपनी सेवाएं प्रदान करेगा। यह रक्षा, नौवहन और स्थान मानचित्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह सैटेलाइट 12 वर्षों तक कार्य करेगा और पूरे भारत को कवर करेगा। यह न केवल रक्षा क्षेत्र में उपयोगी होगा, बल्कि नौवहन और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी तकनीकी स्वतंत्रता प्रदान करेगा।
डॉ. पटनायक ने कहा कि ISRO ने 2015 में 50वें रॉकेट लॉन्च के बाद अपने मिशनों में तेजी लाई है। केवल एक दशक में इसने अपनी संख्या को दोगुना कर लिया। उन्होंने इसे सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता और वैज्ञानिक समुदाय के अथक प्रयास का परिणाम बताया।
बहुत कम देश हैं जिन्होंने 100 रॉकेट लॉन्च का आंकड़ा पार किया है। ISRO की यह सफलता न केवल भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को मजबूत करेगी, बल्कि भारत को वैश्विक अंतरिक्ष ताकतों की सूची में भी मजबूती से खड़ा करेगी।