संसद के मानसून सत्र का आज नौंवां दिन है। संसद में आज दिल्ली कोचिंग हादसे का मुद्दा उठा। संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhad) ने कोचिंग संस्थानों पर गुस्सा उतारते हुए कहा कि कोचिंग एक फलता-फूलता उद्योग बन गया है, जिसमें हाई रिटर्न मिलता है। विज्ञापनों की जांच की जानी चाहिए। विज्ञापन पर खर्च किया गया हर पैसा छात्र से आ रहा है। हर नई इमारत छात्रों के पैसे से आ रही है। इसलिए वास्तव में एक ऐसे दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो इस समस्या से निपटने में काफी मददगार हो सके।
जगदीप धनखड़ ने कोचिंग सेंटरों के व्यावसायीकरण की आलोचना करते हुए अखबारों में उनके लगातार विज्ञापनों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘हम हर रोज देखते हैं अखबारों में… पहले, दूसरे, तीसरे पेज पर कोचिंग संस्थानों के प्रचार होते हैं। इतना भारी खर्चा कहां से आता है? ये उस छात्र से आता है जो अपने सपनों को साकार करना चाहता है। मैं सदन के सदस्यों से आग्रह करूंगा इस मुद्दे पर सुझाव दीजिए। कोचिंग का दायरा बहुत सीमित है। इस भारत को SKILL की आवश्यकता है। कोचिंग सभी को एक सीमित दायरे में बांध रहे हैं, ये एक साइलो (मीनारनुमा स्ट्रक्चर) हो गया है, जो गैस चेम्बर से कम नही है, ये घटना दुखद है।
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बता दें कि दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित RAU’S IAS स्टडी सेंटर के बेसमेंट में डूबने से तीन यूपीएससी छात्रओं की मौत का मुद्दा सोमवार को संसद के दोनों सदनों में उठा। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों ने देश की राजधानी में हुए इस हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए अत्यधिक चिता व्यक्त की। सांसदों ने पार्टी लाइन से हटकर कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया।