रांची: झारखंड हाईकोर्ट में आज प्रथम एवं द्वितीय जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की सीबीआई जांच कराने वाली बुद्धदेव उरांव की जनहित याचिका की सुनवाई हुई। मामले में हाई कोर्ट की खंडपीठ ने सीबीआई को मामले में दायर आरोप पत्र को कोर्ट के रिकॉर्ड में लाने का निर्देश दिया। बता दें सीबीआई की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मामले में रांची की सीबीआई की अदालत में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। वहीं इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय दिया जाए। अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी। पिछली सुनवाई में खंडपीठ ने सीबीआई को जेपीएससी प्रथम एवं द्वितीय गड़बड़ी से संबंधित केस नंबर RC 5/2012 AHD-R एवं RC 6/2012 AHD-R के अनुसंधान की स्थिति पर जवाब मांगा था।
जेपीएससी प्रथम परीक्षा गड़बड़ी मामले में 4 मई को 2024 को सीबीआई ने केस नंबर RC 5/2012 AHD-R में सीबीआई की विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। इसमें सीबीआई ने जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. दिलीप प्रसाद, वरीय सदस्य गोपाल प्रसाद, सदस्य राधा गोविंद नागेश, सदस्य शांति देवी, परीक्षा नियंत्रक एलिस उषा रानी सिंह समेत 37 लोगों को आरोपी बनाया था। इनके अलावा अपर समाहर्ता रैंक के अधिकारी सीमा सिंह, सुषमा नीलम सोरेन, कुंवर सिंह पाहन, ज्योति कुमारी झा, अलका कुमारी, मोहनलाल मरांडी, राम नारायण सिंह, सुदर्शन मुर्मू, जेम्स सुरीन, जितेंद्र मुंडा, पूनम कच्छप, राजीव कुमार, संजीव कुमार, अनंत कुमार, परमेश्वर मुंडा, संतोष कुमार गर्ग, कमलेश्वर नारायण एवं विजय वर्मा को आरोपी बनाया है।
इस दौरान सीबीआई ने जेपीएससी द्वितीय परीक्षा गड़बड़ी मामले में केस नंबर RC 6/2012 AHD-R में जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. दिलीप प्रसाद समेत 70 आरोपियों के खिलाफ सीबीआई की विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है. झारखंड में प्रथम और द्वितीय जेपीएससी परीक्षा में गड़बड़ी की जांच का आदेश झारखंड हाईकोर्ट ने साल 2012 में सीबीआई को दिया था.12 साल से अधिक समय तक सीबीआई ने की मामले की अनुसंधान पूरी कर दोनों मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया है।
बताते चलें कि इस मामले में बुद्धदेव उरांव ने जेपीएससी प्रथम एवं द्वितीय की परीक्षा में अंको की हेरा फेरी एवं एवं रिजल्ट प्रकाशन में गड़बड़ी की जांच सीबीआई से कराने का आग्रह किया है. बता दें कि पहले राज्य सरकार द्वारा ली गई प्रथम एवं द्वितीय जेपीएससी जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में गड़बड़ी की जांच निगरानी ब्यूरो कर रही थी। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर इसकी जांच सीबीआई को दे दिया गया था।