सीवान के बाहुबली नेता और आरजेडी के पूर्व दिवंगत सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के परिवार से दशकों पुरानी दुश्मनी निभाने वाले खान ब्रदर्स, अयूब खान और रईस खान, अब चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (आर) में शामिल हो गए हैं। बुधवार को सीवान के हुसैनगंज के सहूली में एक मिलन समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता मौजूद थे।
पार्टी में प्रवेश और चुनावी समीकरण: खान ब्रदर्स ने पहले जदयू से नजदीकी दिखायी थी, लेकिन जेडीयू की ओर से पार्टी में एंट्री को लेकर ग्रीन सिग्नल न मिलने के बाद उन्होंने लोजपा (आर) का दामन थाम लिया। रईस खान की इच्छा है कि वह सीवान के रघुनाथपुर या दरौंदा विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरें। हालांकि, शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा का भी विधानसभा चुनाव लड़ने का विचार है, और अगर ओसामा रघुनाथपुर सीट से चुनावी दावेदारी करते हैं, तो यह मुकाबला खासा दिलचस्प हो सकता है।
चिराग पासवान का बयान: सीवान पहुंचे चिराग पासवान ने कहा, “रईस खान के पार्टी में शामिल होने से न केवल संगठन को मजबूती मिलेगी, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए को भी फायदा होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ उनकी प्राथमिकता है, और पार्टी को प्रखंड, जिला, और बूथ स्तर तक मजबूत किया जाएगा ताकि आगामी चुनाव में एनडीए को पूर्ण बहुमत मिल सके।
ओसामा की आरजेडी में एंट्री: शहाबुद्दीन के निधन के बाद सीवान में राजनीतिक हालात काफी बदल चुके हैं। शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने पहले लालू परिवार से दूरी बना ली थी, लेकिन अब तीन महीने पहले हिना शहाब और लालू परिवार के बीच रिश्ते सामान्य हो गए हैं। इसके बाद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने पार्टी में शामिल किया।
खान ब्रदर्स की पुरानी दुश्मनी और विवाद: खान ब्रदर्स और शहाबुद्दीन के परिवार के बीच दुश्मनी की जड़ें काफी गहरी हैं। यह दुश्मनी 2005 में खान ब्रदर्स के पिता कमरूल हक खान के अपहरण से शुरू हुई थी, जिस पर शहाबुद्दीन का हाथ होने का आरोप था। इसके बाद रईस खान पर AK-47 से हमले का आरोप भी शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा पर था। इस हमले में एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी। इसके अलावा, खान ब्रदर्स पर ट्रिपल मर्डर के आरोप भी हैं, और रईस खान सिपाही मर्डर केस में जेल भी जा चुके हैं।
सीवान का सियासी बदलाव: सीवान में शहाबुद्दीन की तूती पहले खूब बोलती थी, लेकिन अब उनकी मौत के बाद राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। खान ब्रदर्स का लोजपा (आर) में शामिल होना, और ओसामा का आरजेडी में जाना, सीवान की सियासत में नए बदलाव की ओर इशारा करता है। इस बदलाव के बाद, चुनावी मैदान में दिलचस्प मुकाबले देखने को मिल सकते हैं।
खान ब्रदर्स का लोजपा (आर) में प्रवेश, बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोड़ ला सकता है। चिराग पासवान के नेतृत्व में लोजपा (आर) का संगठन मजबूत हो सकता है, और आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए को फायदा मिल सकता है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि ओसामा और खान ब्रदर्स के राजनीतिक कदम क्या असर डालते हैं, और किस पार्टी को सीवान की राजनीति में आगे बढ़ने का मौका मिलता है।