जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जल संसाधन विभाग, बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी कोसी-मेची अंतःराज्यीय लिंक परियोजना को केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना– त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (PMKSY-AIBP) में शामिल करने का स्वागत किया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट ने कोसी-मेची लिंक परियोजना को मंजूरी देकर उत्तर बिहार के विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से बड़े इलाके में सिंचाई व्यवस्था में सुधार होगा और कोसी नदी की बाढ़ की समस्या से बड़ी राहत मिलेगी। खरीफ सीजन में लाखों हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा मिलने से क्षेत्र के किसानों की आय में वृद्धि होगी और कृषि क्षेत्र को नई ताकत मिलेगी।
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उधर, जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि जल संसाधन विभाग, बिहार द्वारा तैयार कोसी-मेची अंत:राज्यीय नदी जोड़ परियोजना के जरिये कोसी नदी के अधिशेष जल को महानंदा बेसिन में पहुंचाकर, जहां चार जिलों के बड़े इलाके में सिंचाई सुविधा पहुंचाई जाएगी, वहीं क्षेत्र में कोसी नदी की बाढ़ का प्रभाव भी कम होगा। योजना के तहत पूर्वी कोसी मुख्य नहर के 0.00 किमी से 41.30 किमी तक वर्तमान जल संवहन क्षमता को 15 हजार क्यूसेक्स से बढ़ा कर 20 हजार क्यूसेक्स किया जाएगा, जबकि मौजूदा मुख्य नहर का इसके अंतिम बिंदु यानी 41.30 किमी से आगे 117.50 किमी तक विस्तार किया जाएगा। इस विस्तार के साथ कुल 4 शाखा नहर (लंबाई 229.00 किमी) और 6 वितरणी (लंबाई 48.00 किमी) के साथ-साथ 5 क्यूसेक तक की नहर प्रणालियों का निर्माण कराया जाएगा। नहर के अंतिम छोर (किशनगंज जिले के माखनपुर गांव) पर 950 क्यूसेक्स जलस्राव प्रवाहित होगा, जो मेची नदी में मिलेगा।
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उन्होंने बताया कि वर्तमान में पूर्वी कोसी नहर प्रणाली का कृष्य कमांड क्षेत्र 5.94 लाख हेक्टेयर है। कोसी-मेची लिंक परियोजना के कार्यान्वयन से करीब 2 लाख 14 हजार 813 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इनमें अररिया जिले के 69,642 हेक्टेयर, पूर्णिया जिले के 69,970 हेक्टेयर, किशनगंज जिले के 39,548 हेक्टेयर और कटिहार जिले के 35,653 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल हैं। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से अररिया जिले के फारबिसगंज, कुर्साकांटा, सिकटी, पलासी, जोकीहाट और अररिया; पूर्णिया जिले के बैसा, अमौर और बायसी; किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ, दिघलबैंक, बहादुरगंज और कोचाधामन; जबकि कटिहार जिले के कदवा, डंडखोड़ा, प्राणपुर, मनिहारी और अमदाबाद प्रखंडों के नागरिक एवं किसान लाभान्वित होंगे। उक्त चारो जिलों में कोसी नदी की बाढ़ का प्रभाव कम होने और सिंचाई सुविधा मिलने से विकास का एक नया युग शुरू होगा।
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उन्होंने बताया कि कोसी-मेची परियोजना की अनुमानित कुल लागत 6,282.32 करोड़ रुपये है। इस योजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना – त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम में शामिल कर केंद्र सरकार इसके लिए बिहार को 3,652.56 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। इस परियोजना के लिए कार्यकारी विस्तृत योजना प्रतिवेदन राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण (एनडब्ल्यूडीए) द्वारा तैयार किया जा रहा है। यह तैयार हो जाने पर प्रथम चरण में पूर्वी कोसी मुख्य नहर के 0.00 किमी से 44.10 किमी तक का कार्य कराया जाएगा। मुख्य नहर के 44.10 किमी से 117.50 किमी के बीच नहर निर्माण के लिए भू-अर्जन की कार्रवाई के पश्चात द्वितीय चरण में कार्य कराया जाएगा। परियोजना को मार्च 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
परियोजना की टाइमलाइन
01 अगस्त 2019 – वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए पर्यावरण संबंधी मंजूरी दी।
23 अप्रैल 2024 – निवेश मंजूरी समिति (Investment Clearance Committee) ने इस योजना के लिए ₹6282.32 करोड़ की निवेश स्वीकृति दी।
21 नवंबर 2024 – वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आहूत पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड की बैठक में कोसी-मेची अंत: राज्यीय लिंक परियोजना के लिए निवेश के बिंदुओं पर चर्चा हुई। बैठक में इस परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP) में शामिल करने का अनुरोध किया गया। बैठक में तय किया गया कि भूमि अधिग्रहण करने के बाद कार्य आरंभ किया जाएगा।
28 मार्च 2025 – प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) की बैठक में कोसी-मेची अंतःराज्यीय लिंक परियोजना को PMKSY-AIBP में शामिल करते हुए परियोजना की कुल लागत राशि रूपये 6282.32 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की गयी, जिसमें केन्द्रांश की राशि 3652.56 करोड़ है।