‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से प्रवर्तन निदेशालय (ED) को करारा झटका लगा। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी और कारोबारी अमित कत्याल को जमानत देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने गई ईडी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लायक तक नहीं माना।
न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और राजेश बिंदल की पीठ ने ईडी की दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए बेहद सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि “आप सिर्फ छोटे लोगों को ही क्यों पकड़ते हैं? क्या आप बड़े आरोपियों से डरते हैं? बाकी 11 आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई?”
ईडी की दलील और कोर्ट का दो टूक जवाब
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने कोर्ट से आग्रह किया कि हाईकोर्ट का आदेश कानून के खिलाफ है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि वह इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी और हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा।
क्या है ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाला?
यह मामला रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लेने के आरोप से जुड़ा है, जब लालू यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि उस दौरान कई लोगों को नौकरी देने के बदले उनके परिवारों से पटना और अन्य जगहों पर कीमती जमीनें बेहद कम कीमत पर ट्रांसफर करवाई गईं। ईडी ने इस मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव और कई करीबी सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई की है। अमित कत्याल को ईडी ने इसी केस में गिरफ्तार किया था। वह लालू परिवार के साथ संपत्ति और लेन-देन से जुड़े कई मामलों में आरोपित हैं।